आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2022 है.
नई दिल्ली. वित्तवर्ष 2021-22 का इनकम टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया जोरों पर है और इस महीने के आखिर में इसकी अंतिम तिथि भी समाप्त होने वाली है. इस बीच यह चर्चा भी उठ रही कि क्या मृत व्यक्ति का आईटीआर भरना भी जरूरी है.
इस बारे में इनकम टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि अगर मृत व्यक्ति टैक्स के दायरे में आता है तो उसका आईटीआर भरना जरूरी होगा. हालांकि, इसके लिए मृत व्यक्ति का कानूनी वारिस होना जरूरी है जिसे किसी कोर्ट की ओर से इस काम के लिए अधिकृत किया गया हो. साथ ही ई-फाइलिंग पोर्टल पर मृत व्यक्ति और उसके कानूनी वारिस दोनों का पैन कार्ड डिटेल डालना जरूरी होगा. अगर मृत व्यक्ति का पैन आयकर पोर्टल पर नहीं है तो उसकी जगह पर वारिस अपना पैन रजिस्टर्ड कर सकता है.
कानूनी वारिस के तौर पर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस
-सबसे पहले आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएंगे और कानूनी वारिस के दस्तावेजों के साथ लॉग इन करेंगे.
-पोर्टल खुलने पर ऑथाराइज्ड पार्टनर्स पर जाएं और रिजस्टर ऐज रिप्रेजेंटेटिव को चुनकर गेट स्टार्टेड पर क्लिक करें.
-इसके बाद क्रिएट न्यू रिक्वेस्ट पर क्लिक करेंगे और सभी जरूरी जानकारियां भरेंगे.
-रजिस्ट्रेशन के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र, मृत व्यक्ति का पैन कार्ड, वारिस का पैन कार्ड, वारिस के तौर पर बना सर्टिफिकेट और इस बारे में कोर्ट के आदेश की कॉपी अपलोड करेंगे.
-इसके बाद प्रोसीड बटन पर क्लिक कर रिक्वेस्ट वेरिफाई करेंगे.
-आखिर में सबमिट रिक्वेस्ट का बटन दबाते ही आपका पंजीकरण हो जाएगा, जिसकी जानकारी आयकर विभाग की ओर से मिलेगी.
आगे क्या करना होगा
एक बार सभी डॉक्यूमेंट के साथ रजिस्ट्रेशन पूरा होने पर इनकम टैक्स का ई-फाइलिंग एडमिनिस्ट्रेशन इसका सत्यापन करेगा और अगर रिक्वेस्ट अप्रूव्ड हो जाती है तो कानूनी वारिस को मृत व्यक्ति की जगह आईटीआर से जुड़े सभी अधिकार मिल जाएंगे. लेकिन, अगर रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो जाती है तो संबंधित व्यक्ति को कारण सहित इसकी जानकारी विभाग की ओर से दी जाएगी. इसके बाद वारिस चाहें तो इस पर जरूरी कदम उठा सकते हैं.
सत्यापन पूरा होने और मंजूरी मिलने के बाद वारिस एक सामान्य करदाता की तरह ही मृत व्यक्ति का आईटीआर भी दाखिल कर सकता है. इस आईटीआर को भी आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग जैसे कई तरीकों से सत्यापित किया जा सकता है. ध्यान रहे कि आईटीआर भरने से पहले मृत व्यक्ति की कुल आमदनी का कैलकुलेशन किया जाना जरूरी है. यह संबंधित वित्तवर्ष की शुरुआत से लेकर करदाता की मृत्यु की तारीख तक का ही होना चाहिए. अगर कोई कमाई करदाता की मृत्यु के बाद होती है तो वह वारिस की आमदनी का हिस्सा माना जाएगा और इसकी जानकारी वारिस को अपने आयकर रिटर्न में देने होगी.
वारिस पर संपत्ति से ज्यादा टैक्स की देनदारी नहीं
आयकर कानून कहता है कि अगर किसी मृत व्यक्ति पर टैक्स बकाया है तो उसका भुगतान कानूनी वारिस को करना होगा. हालांकि, इसमें यह स्पष्ट है कि अगर वारिस को बकाया टैक्स से कम संपत्ति मिलती है तो वह सिर्फ उतना ही टैक्स भरने का जिम्मेदार होगा जितने की संपत्ति होगी. मसलन, किसी व्यक्ति को अपने पिता से वारिस के तौर पर 8 लाख रुपये के शेयर मिले हैं और उसके पिता पर 9.5 लाख रुपये का टैक्स बकाया था, तो वारिस को सिर्फ टैक्स के तौर पर 8 लाख ही चुकाने होंगे.
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