SIP में बढ़ते निवेश की वजह से भारत में लग्जरी कार इंडस्ट्री की ग्रोथ में बाधा आ रही है. (तस्वीर- साभार मनीकंट्रोल)
नई दिल्ली. शेयर बाजार में उछाल के साथ मार्केट नया हाई बना रहा है. बाजार में तेजी की वजह से लोगों का निवेश भी बढ़ता जा रहा है. इसी बीच इन दिनों SIP में भी निवेश लगातार बढ़ रहा है. लेकिन SIP में बढ़ता निवेश लग्जरी कार कंपनियों के लिए चिंता का विषय बन गया है. मर्सिडीज़ बेंज़ इंडिया के सेल्स एंड मार्केटिंग हेड संतोष अय्यर का मानना है कि SIP में बढ़ते निवेश की वजह से भारत में लग्जरी कार इंडस्ट्री की ग्रोथ में बाधा आ रही है. अय्यर बताते हैं कि SIP उनका कॉम्पिटीटर है. वो अपनी टीम को कहते हैं कि अगर SIP में निवेश के साइकल को तोड़ दिया जाए, तो लग्जरी कार इंडस्ट्री में तेज ग्रोथ देखने को मिल सकती है. अय्यर के अनुसार, भारत में लोग बचत पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
उन्होंने कहा यह लग्जरी कार कंपनियों के सामने नई चुनौतियां हैं. अय्यर का कहना है कि नई जेनरेशन का SIP पर ज्यादा फोकस है. नई पीढ़ी बचत और निवेश पर जोर दे रही है. उन्होंने कहा कि जनवरी के बाद से 15 हजार गाड़ियों की इंक्वायरी हुई. लेकिन इंक्वायरी के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी गाड़ियों का ऑर्डर मिला है. वहीं इसी बीच अक्टूबर में रिकॉर्ड SIP इनफ्लो देखने को मिला है. अक्टूबर में SIP इनफ्लो इसी साल के सितंबर के 12,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 13,000 करोड़ पहुंच गया है.
जानें किस साल कितना हुआ SIP में निवेश
अगर हम SIP में बढ़ते निवेश को देखें तो वित्तवर्ष 2021 में एसआईपी में 96,080 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था. वहीं वित्त वर्ष 22 में एसआईपी के जरिए 124,566 करोड़ का निवेश हुआ था. जबकि फाइनेंशियल ईयर 23 में अक्टूबर तक एसआईपी के जरिए 87,275 करोड़ का निवेश हुआ है. बता दें FY23 में हर महीने एसआईपी के जरिए 11,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश हुआ है.
जानिए, बचत पर क्या कहा विशेषज्ञ ने
मर्सिडीज बेंज के संतोष अय्यर के बयान से ये सवाल पैदा हो गया है कि हमें बचत पर फोकस करना चाहिए या अपने शौक भी पूरे करने चहिए? इस पर अपनी राय रखते हुए कम्प्लीट सर्किल के मैनेजिंग पार्टनर गुरमीत चड्ढा ने कहा कि जिदंगी में बैलेंस करना ज्यादा जरूरी है. मैं कहता हूं कि गुड EMI और बैड EMI दो चीजें हैं. गुड EMI की मात्रा बैड EMI से ज्यादा होनी चाहिए. अगर आप 50000 की SIP करते हैं और उसमें आपको निफ्टी जितना 14-14 फीसदी का रिटर्न मिलता है तो आप एक सिस्टेमेटिक बिद्ड्रॉल सिस्टम से मर्सडीज की किस्त को फंड कर सकते हैं.
लाइफ एंजॉय करना भी है जरूरी
गुरमीत चड्ढा ने कहा कि लाइफ को एंजॉय करना भी उतना ही जरूरी है जितना बचत करना. 20-25 साल तक अगर आप अपनी सारी इच्छाएं खत्म कर देते हैं और आपका पोर्टफोलियो बहुत बड़ा हो भी जाता है तो भी उसका बहुत ज्यादा मतलब नहीं है. क्योंकि जीवन को अच्छे से जीने की आपकी प्राइम एज तो निकल जाती है. ऐसे में खर्च और बचत में एक संतुलन होना चाहिए.
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