केंद्र सरकार चीन को एलआईसी के आईपीओ में निवेश करने से रोकने की तैयारी कर रही है.
नई दिल्ली. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के आईपीओ (LIC IPO) को पेश करने से पहले विदेशी निवेश (Foreign Investment) की अनुमति देने की योजना बना रही है. हालांकि, इस बीच जानकारी मिली है कि केंद्र चीन को एलआईसी के आईपीओ में निवेश करने की मंजूरी (China Restricted) नहीं देगा. इसके लिए सरकार खास योजना बना रही है. दरअसल, सरकार का मानना है कि एलआईसी जैसी कंपनियों में चीन की ओर से किया जाने वाला निवेश जोखिम पैदा कर सकता है.
मोदी सरकार चीनी निवेशकों को एलआईसी में शेयर खरीदने से रोकना चाहती है. इसलिए एलआईसी के आईपीओ में निवेश से पैदा होने वाले जोखिम को देखते हुए सरकार चीनी कंपनियों पर पाबंदी लगाने को लेकर विचार-विमर्श कर रही है. हालांकि, अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है. सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुए संघर्ष के बाद से भारत लगातार चीन के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है. इसके तहत चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर एंटी डंपिंग चार्ज लगाश रहा है. इसके अलावा कई चीनी मोबाइल ऐप्स पर भी पाबंदी लगाई गई. साथ ही कई परियोजनाओं को लेकर हुए समझौते खत्म कर दिए गए.
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‘सीमा विवाद के बीच जारी नहीं रखा जा सकता कारोबार’
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय और एलआईसी की ओर से आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय ने भी अब तक कुछ नहीं कहा है. हालांकि, एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि लद्दाख सीमा पर हुई झड़प के बाद चीन के साथ पहले की तरह कारोबार जारी नहीं रखा जा सकता है. चीन पर भारत का भरोसा घटा है. उन्होंने कहा कि ऐसे में चीन को एलआईसी आईपीओ में निवेश से रोके जाने की पूरी उम्मीद है. बता दें कि सरकार मार्च 2022 के अंत तक एलआईसी आईपीओ पेश कर देगी. सरकार इसके जरिये अपनी 5 से 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. इससे करीब 1 लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है. साथ ही एलआईसी को सूचीबद्ध भी कराया जाएगा.
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विदेशी निवेशकों को निवेश की मिल सकती है मंजूरी
केंद्र सरकार विदेशी संस्थागत निवेशकों को एलआईसी आईपीओ का 20 फीसदी तक खरीदने की मंजूरी देने की योजना बना रही है. बता दें कि मौजूदा एफडीआई नीति के मुताबिक बीमा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट के तहत 74 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति है. हालांकि, ये नियम एलआईसी पर लागू नहीं होते हैं. मौजूदा नियम के तहत कोई भी विदेशी निवेशक एलआईसी में निवेश नहीं कर सकता है. अब अगर सरकार 20 फीसदी निवेश की मंजूरी देता है तो एलआईसी में विदेशी निवेशकों के पूंजी लगाने का रास्ता खुल जाएगा. फिलहाल सरकार आईपीओ प्रबंधन के लिए 10 मर्चेंट बैंकर्स का चुनाव कर चुकी है.
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