नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन संकट के बाद कच्चे तेल की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी और महंगाई के बाद अब बेरोजगारी झटके पर झटका दे रही है. आलम यह है कि बेरोजगारी (Unemployment) दर फरवरी में बढ़कर 6 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई. ग्रामीण इलाकों में बढ़ रही महंगाई और काम की कमी की वजह से बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE Report) की रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी में देश में बेरोजगारी की दर बढ़कर 8.1 फीसदी पहुंच गई. यह बेरोजगारी का छह महीने का उच्च स्तर है. इससे पहले जनवरी 2022 में बेरोजगारी की दर 6.57 फीसदी थी, जो 10 महीनों में सबसे कम है.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ी बेरोजगारी
बेरोजगारी दर बढ़ने के मामले में ग्रामीण इलाकों को राहत नहीं मिली है. पिछले महीने गांवों में बेरोजगारी 8 महीने के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी. फरवरी 2022 में गांवों में बेरोजगारी 2.51 फीसदी बढ़कर 8.35 फीसदी पर पहुंच गई. सीएमआईई का कहना है कि गांवों में महंगाई बढ़ने की कई वजहें हैं. इनमें महंगाई भी शामिल है.
शहरों में मिली राहत
इसके विपरीत, शहरों में बेरोजगारी दर 8.16 फीसदी से घटकर 7.55 फीसदी रह गई, जो चार महीने का निचला स्तर है. इसकी प्रमुख वजह शहरों में नौकरियों के मोर्चे पर बेहतर स्थिति है. इसके अलावा, महामारी से जुड़ी पाबंदियों में ढील और फॉर्मल एवं इनफॉर्मल सेक्टर में तेज सुधार से भी शहरों में बेरोजगारी घटी है.
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मनरेगा बजट में कटौती का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ राज्यों के मनरेगा बजट (MNREGA Budget) में कमी और गांवों में गैर-कृषि क्षेत्र में नए रोजगार की सीमित उपलब्धता के चलते गांवों में बेरोजगारी दर में उछाल रही. यह फरवरी में आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई. ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर के नीचे लाने की जरूरत है. इसके लिए सरकार को तत्काल सक्रिय भूमिका निभानी होगी और हस्तक्षेप करना होगा.
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