थोक महंगाई दर: अक्टूबर में 0.33 फीसदी से घटकर 0.16 फीसदी पर आई, 3 साल में सबसे कम
News18Hindi Updated: November 14, 2019, 1:12 PM IST

थोक महंगाई दर 36 महीने के निचले स्तर पर आ गई है.
सितंबर महीने के मुकाबले अक्टूबर में होलसेल (Wholesale Price Index Inflation) महंगाई 0.33 फीसदी से घटकर 0.16 फीसदी पर आ गई है. वहीं, पिछले साल (2018) के अक्टूबर महीने में महंगाई दर 5.28 फीसदी थी.
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- Last Updated: November 14, 2019, 1:12 PM IST
नई दिल्ली. अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर (Wholesale Price Index Inflation) में गिरावट आई है. सितंबर महीने के मुकाबले अक्टूबर में होलसेल महंगाई 0.33 फीसदी से घटकर 0.16 फीसदी पर आ गई है. वहीं, पिछले साल (2018) के अक्टूबर महीने में महंगाई दर 5.28 फीसदी थी. थोक महंगाई दर 36 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. आपको बता दें कि बुधवार यानी 13 नवंबर को खुदरा महंगाई के आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) यानी रिटेल इंफ्लेशन (Retail Inflation) बढ़कर 4.62 फीसदी हो गई. सितंबर में यह दर 3.99 फीसदी थी. अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 15 महीनों में सबसे ज्यादा रही. यह RBI के 4 फीसदी मीडियम टर्म टारगेट से ज्यादा हो गई है.
थोक महंगाई दर में आई कमी- अक्टूबर में थोक महंगाई दर 0.33 फीसदी से गिरकर 0.16 फीसदी पर आ गई है.

अक्टूबर में खाद्य होलसेल महंगाई दर 5.98 फीसदी से बढ़कर 7.65 फीसदी हो गई है. जरूरी वस्तुओं की महंगाई दर 5.54 सफीसदी से बढ़कर 6.41 फीसदी हो गई है. इसके अलावा फ्यूल और पावर महंगाई दर -7.05 फीसदी से घटकर -8.27 फीसदी रही है.ये भी पढ़ें-क्या है ब्रिक्स बैंक, क्यों पड़ी इसकी जरूरत और इससे क्या होगा भारत को फायदा
आपको बता दें कि देश में आर्थिक नीतियों को बनाने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का इस्तेमाल किया जाता रहा है. थोक बाजार में वस्तुओं के समूह की कीमतों में सालाना तौर पर कितनी बढ़ोत्तरी हुई है इसका आंकलन महंगाई के थोक मूल्य सूचकांक के जरिए किया जाता है.
भारत में इसकी गणना तीन तरह की महंगाई दर, प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई में बढ़त के आधार पर की जाती है. अभी तक भारत में वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के कई फैसले थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर के हिसाब से ही की जाती रही है.
अब क्या होगा- एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे सरकार और RBI को कुछ राहत मिलेगी. क्योंकि रिटेल महंगाई दर 15 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है. RBI की अगली पॉलिसी तक महंगाई दर स्थिर रहती है तो ब्याज दरों को लेकर फैसला करना आसान हो जाएगा.
ये भी पढ़ें-जानिए आपके घर के लिए कौन सा बैंक देगा सबसे सस्ते में कर्ज, यहां चेक करें लिस्ट
थोक महंगाई दर में आई कमी- अक्टूबर में थोक महंगाई दर 0.33 फीसदी से गिरकर 0.16 फीसदी पर आ गई है.

अक्टूबर में खाद्य होलसेल महंगाई दर 5.98 फीसदी से बढ़कर 7.65 फीसदी हो गई है. जरूरी वस्तुओं की महंगाई दर 5.54 सफीसदी से बढ़कर 6.41 फीसदी हो गई है. इसके अलावा फ्यूल और पावर महंगाई दर -7.05 फीसदी से घटकर -8.27 फीसदी रही है.ये भी पढ़ें-क्या है ब्रिक्स बैंक, क्यों पड़ी इसकी जरूरत और इससे क्या होगा भारत को फायदा
आपको बता दें कि देश में आर्थिक नीतियों को बनाने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का इस्तेमाल किया जाता रहा है. थोक बाजार में वस्तुओं के समूह की कीमतों में सालाना तौर पर कितनी बढ़ोत्तरी हुई है इसका आंकलन महंगाई के थोक मूल्य सूचकांक के जरिए किया जाता है.

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अब क्या होगा- एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे सरकार और RBI को कुछ राहत मिलेगी. क्योंकि रिटेल महंगाई दर 15 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है. RBI की अगली पॉलिसी तक महंगाई दर स्थिर रहती है तो ब्याज दरों को लेकर फैसला करना आसान हो जाएगा.
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First published: November 14, 2019, 12:25 PM IST
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