क्रूड ऑयल की आयात पर निर्भरता और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार लगातार वैकल्पिक ईंधनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. सार्वजनिक तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) ने इंडियन इंस्टि्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु (Indian Institute of Science Bangalore) के साथ एमओयू (Memorandum of Understanding) साईन किया है. करार के मुताबिक बायोमॉस गैसिफिकेशन आधारित हाइड्रोजन जेनेरेशन टेक्नोलॉजी (Hydrogen Generation Technology) को डेवलप और डेमोन्सट्रेट करेगी. इससे फ्यूल सेल ग्रेड हाइड्रोजन बनाने में मदद मिलेगी. दावा किया जा रहा है कि इस तकनीक के जरिए देश में सस्ता हाइड्रोजन ईंधन उपलब्ध हो सकेगा.
इंडियन ऑयल और इंडियन इंस्टि्यूट ऑफ साइंस नई तकनीक से हाइड्रोजन ईंधन की प्रदर्शनी इंडियन ऑयल के शोध एवं अनुसंधान केंद्र फरीदाबाद में करेगी. उत्पादन किए हाइड्रोजन का इस्तेमाल बसों में किया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि इस कदम से देश को हाइड्रोजन इकोनॉमी बनाया जा सकेगा. इस तकनीक के जरिए देश को स्वच्छ ईंधन मिल पाएगा. वहीं कचरों के निपटान की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी. दावा यह भी किया जा रहा है कि इससे हवा की गुणवत्ता में भी बड़ा सुधार होगा.
दावा किया जा रहा है कि हाइड्रोजन ईंधन के अधिकाधिक इस्तेमाल से देश को ग्रीन मोबिलिटी के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल टेलपाईप से सिर्फ पानी का उत्सर्जन करता है. हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाइड्रोजन ईंधन उत्पादन करने वाले संयंत्र का उद्घाटन किया था. इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ट्रायल बेसिस पर 50 डीटीसी की बसों को हाइड्रोजन ईंधन से चलाया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2020, 22:22 IST