नई दिल्ली. इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को समय पर पूरा नहीं कर पाने की वजह से इनकी लागत में करीब 4.4 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो गया है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने रविवार को खुलासा किया कि 150 करोड़ से ज्यादा करीब 445 प्रोजेक्ट तय समय से काफी पीछे चल रहे हैं.
मंत्रालय ने 1,673 प्रोजेक्ट की सूची जारी कर बताया कि इसमें से 557 प्रोजेक्ट अपनी तय समय सीमा से पीछे चल रहे हैं, जबकि 445 प्रोजेक्ट की लागत में बड़ा इजाफा हो गया है. इन प्रोजेक्ट पर आने वाली वास्तविक लागत 22 लाख 23 हजार 791.78 करोड़ रुपये थी. लेटततीफी की वजह से 31 दिसंबर, 2021 तक इनकी लागत बढ़कर 26 लाख 64 हजार 649.18 करोड़ रुपये पहुंच गई है. इस तरह कुल लागत में 4 लाख 40 हजार 857.40 करोड़ रुपये का इजाफा हो गया है, जो वास्तविक लागत से 19.82% फीसदी ज्यादा है. दिसंबर तक इन प्रोजेक्ट पर 13 लाख 8 हजार 766.65 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं, जो कुल लागत का 49.12 फीसदी है.
ये भी पढ़ें – अमेजन-फ्लिपकार्ट से करनी है शॉपिंग, इन एप पर मिलेगा बंपर कैशबैक
करीब चार साल की औसत देरी से चल रहे प्रोजेक्ट
मंत्रालय ने बताया कि 557 प्रोजेक्ट की औसत देरी का समय 45.69 महीने है. इसमें से 116 प्रोजेक्ट तो पांच साल (61 महीने) की देरी से चल रहे हैं. इसके अलावा 217 प्रोजेक्ट 25-60 महीने, 127 प्रोजेक्ट 13-24 महीने और 97 प्रोजेक्ट 1 से 12 महीने की देरी से चल रहे हैं.
ये भी पढ़ें – नौकरीपेशा पर मेहरबान होगी सरकार, बढ़ा सकती है पीएफ पर टैक्स छूट
ये हैं देरी के प्रमुख कारण
कोरोना महामारी की वजह से विभिन्न राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन ने इन प्रोजेक्ट पर बड़ा अड़ंगा डाला. इसके अलावा जमीन अधिग्रहण में देरी, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और विभागों की ओर से क्लीयरेंस मिलने में देरी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव की वजह से भी प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पा रहे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Central government, Infrastructure Projects