नई दिल्ली. बीते 2 सालों में करीब 14 फीसदी भारतीयों ने इंस्टेंट लोन ऐप्स के जरिए कर्ज लिया है. इनमें से करीब 58 फीसदी से लोगों से 25 फीसदी से अधिक सालाना ब्याज वसूला गया. लोकलसर्किल्स द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है.
इस सर्वे में शामिल हुए 54 फीसदी लोगों का कहना था कि भुगतान के दौरान उनसे जबरन वसूली की गई या उनके कर्ज व ब्याज संबंधी आंकड़ों से छेड़छाड़ की गई. इस सर्वे में 409 जिलों में रहने वाले 27,500 से अधिक लोगों ने भाग लिया. सर्वे में शामिल कुल लोगों में से 47 फीसदी टायर 1 शहरों और 35 फीसदी टायर 2 शहरों में रहने वाले थे. इसके अलावा 18 फीसदी लोग टायर 3 और 4 व ग्रामीण इलाकों के रहने वाले थे.
200 फीसदी तक वसूला गया ब्याज
सर्वे में शामिल 26 फीसदी लोगों ने बोला कि उनसे 10-25 फीसदी ब्याज लिया गया. 16 फीसदी ने ब्याज दर 25-50 फीसदी तक बताई. 26 फीसदी लोगों ने कहा कि उनसे 100-200 फीसदी की दर से ब्याज लिया गया. वहीं, 16 फीसदी लोगों ने तो ब्याज दर 200 फीसदी से भी अधिक बताई. इस तरह कुल 58 फीसदी लोगों ने माना कि उनसे सालाना 25 फीसदी से अधिक का ब्याज लिया गया. सर्वे में शामिल 14 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्होंने या उनके परिवार में से किसी ने या फिर उनके लिए काम करने वाले किसी शख्स ने इंस्टेंट लोन ऐप के जरिए कर्ज लिया है.
कोविड-19 महामारी के दौरान बने अधिकांश ऐसे ऐप
इंस्टेंट ऐप सबसे अधिक कोविड-19 महामारी के दौरान बने. उस समय अचानक नौकरी छूटने या किसी अन्य आपातकालीन परिस्थिति के लिए लोगों को पैसों की आवश्यकता पड़ी और इंस्टेंट ऐप ने उन्हें ये मुहैया कराया. हालांकि, इसके बदले कर्ज लेने वालों से कई मामलों में 400-500 फीसदी का ब्याज वसूला गया. ग्राहकों का कहना है कि 3,000-5,000 रुपये के लोन के लिए 30-60 फीसदी ब्याज लिया जाता है.
अधिकांश लोन ऐप अवैध
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लोन ऐप्स की बढ़ती मनमानी को देखते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक जल्द ही डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए नियम लाएगा. उन्होंने कहा था कि इस तरह के जितने ऐप्स चल रहे हैं उनमें से अधिकांश अवैध और अनाधिकृत हैं. आरबीआई ने लोगों से यह भी अपील की थी कि अगर कोई जबरन वसूली करता है तो वे इसकी शिकायत पुलिस में करें.
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