ईएसआई की अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना और कोविड 19 रिलीफ स्कीम की शर्तों में बदलाव हुआ है.
नई दिल्ली. पेटीएम (Paytm) की ऑपरेटर कंपनी One97 communications के IPO की जितनी चर्चा थी, इसकी लिस्टिंग उतनी ही कमजोर हुई है. इससे निवेशकों के लाखों रुपये डूब गए. कंपनी के सीईओ विजय शेखर शर्मा खुद लिस्टिंग समारोह में भावुक हो गए. दरअसल, कोरोना महामारी के बावजूद इस साल आईपीओ मार्केट में धूम है. पहली छमाही में रिकॉर्ड आईपीओ आए हैं. इससे कई निवेशकों में भारी उत्साह नजर आ रहा है.
बहुत सारे रिटेल निवेशकों को आईपीओ का इंतजार होता है. ऐसे में आपको आईपीओ में निवेश करने से पहले ये जान लेना जरूरी हैं कि किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए. आईपीओ में जितना फायदा होने का चांस होता है उतना ही नुकसान होने का भी चांस होता है. आइए जानते हैं क्या होता है आईपीओ और इसमें निवेश करने से पहले किन बातों का रखा जाता है ध्यान…
क्या है IPO?
इनिशियल पब्लिक ऑफर बाजार से पूंजी जुटाने के लिए किसी प्राइवेट कंपनी द्वारा लाया जाता है. यह एक प्राइवेट कंपनी को पब्लिक कंपनी में बदलने की प्रक्रिया है. जब कंपनियों को पैसे की जरूरत होती है तो ये शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराती हैं. आईपीओ के ज़रिए प्राप्त पूंजी को कंपनी अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. इस फंड का इस्तेमाल कर्ज चुकाने या कंपनी की तरक्की आदि में किया जा सकता है. स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की लिस्टिंग से कंपनी को अपने मूल्य का उचित वैल्यूएशन प्राप्त करने में मदद मिलती है.
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IPO सब्सक्राइब करने से पहले ध्यान रखें ये बातें…
1. किसी भी आईपीओ को सब्सक्राइब करने से पहले ही एक निवेशक के तौर पर आपको पहले से यह तय कर लेना चाहिए कि आप इस पर लिस्टिंग गेन का फायदा लेना चाहते हैं या इसमें लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं. कभी-कभी कुछ शेयरों के मामले में ऐसा होता है कि लिस्टिंग गेन बहुत अधिक मिलता है लेकिन जरूरी नहीं कि आगे भी इसमें तेजी बनी रहे.
2. आईपीओ के लिए फाइलिंग करते समय कंपनी प्रॉस्पेक्टस में इसकी जानकारी भी देती है कि आईपीओ से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा. यह ध्यान रखें कि कंपनी अपना कर्ज चुकाने के लिए फंड जुटा रही है या अपनी क्षमता विस्तार के लिए. आमतौर पर अगर कंपनी अपनी कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए फंड जुटा रही है तो उसके ग्रोथ की संभावना अधिक होती है.
3. अगर जिस कंपनी का आईपीओ खुल रहा है, उसमें बिग बुल राकेश झुनझुनवाला और राधाकिशन दमानी जैसे दिग्गजों की हिस्सेदारी है तो निवेशक उसके प्रति आकर्षित होते हैं. इनकी हिस्सेदारी से प्रभावित होकर ही निवेश का फैसला नहीं ले लेना चाहिए बल्कि कंपनी के सभी प्रमोटर के बारे में जरूरी जानकारियां जरूर जुटाना चाहिए.
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4. आईपीओ के लिए कंपनी का वैल्यूएशन कितना तय हुआ है, इसे जरूर ध्यान रखना चाहिए. इसकी इंडस्ट्री में शामिल अन्य कंपनियों (पिअर्स) से जरूर तुलना कर लेनी चाहिए. जिस कंपनी के आईपीओ सब्सक्रिप्शन का ऑफर आया हुआ है, उसका P/E (प्राइस टू अर्निंग्स) रेशियो, P/B (प्राइस टू बुक) रेशियो और कंपनी पर कितना कर्ज है यानी D/E (डेट टू अर्निंग्स) रेशियो जरूर देख लें. यह जितना कम हो, उतना बेहतर है. हालांकि हर इंडस्ट्री के लिए इसका मानक अलग है कि यह रेशियो कितना होना चाहिए.
5. कई ट्रेडर्स/निवेशक किसी भी आईपीओ को सब्सक्राइब करने से पहले ग्रे मार्केट के रूझान भी देखते हैं. इससे उन्हें आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए तय की गई प्राइस पर कितना मुनाफा मिल सकता है, इसका अनुमान लगाते हैं. हालांकि यह रणनीति सिर्फ कम समय के लिए किए गए निवेश के लिए कारगर हो सकती है लेकिन अगर लंबे समय के लिए निवेश करने का विचार कर रहे हैं तो इसका फैसला कंपनी के फंडामेंटल के आधार पर ही लेना चाहिए.
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