नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की हालत पहले से ही डांवाडोल चल रही है. इसी बीच ईरान (Iran) भी भारत को तगड़ा झटका देने की तैयारी में है. भारत (India) अपनी ही एक कंपनी के ईरान में खोजे बड़े खनिज गैस क्षेत्र के विकास और निकासी की लंबे से समय से अटकी परियोजना (Gas Field Project) से हाथ धोने जा रहा है. दरअसल, ईरान ने खाड़ी की फरजाद-बी परियोजना का काम घरेलू कंपनियों (Iranian Companies) को देने का फैसला कर लिया है. ईरान इस समय सख्त अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों (Financial Bans) से जूझ रहा है.
ईरान के इस गैस क्षेत्र पर 11 अरब डॉलर खर्च करने की थी योजना
भारत की ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL) के नेतृत्व में भारतीय कंपनियों का एक समूह परियोजना पर अब तक 40 करोड़ डॉलर खर्च कर चुका है. फरजाद-बी ब्लॉक में गैस के विशाल भंडार की खोज 2008 में भारतीय कंपनी ओवीएल ने की थी. ओवीएल सरकारी कंपनी तेल व प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) की सहायक कंपनी है. ओएनजीसी ने इसे विदेशी परियोजनाओं में निवेश करने के लिए बनाया है. ओवीएल ने ईरान के इस गैस क्षेत्र के विकास पर 11 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बनाई थी. ओवीएल के प्रस्ताव पर ईरान ने कई साल से कोई निर्णय नहीं लिया था.
ये भी पढ़ें-
जानें कौन हैं जेट एयरवेज के नए मालिक मुरारी लाल जालान और कालरॉक कैपिटल, बंद पड़ी एयरलाइंस को देंगे नई उड़ान
फरजाद-बी गैस फील्ड में मौजूद है 21,700 अरब घनफुट गैस भंडार
ईरान की नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी (NIOC) ने फरवरी 2020 में कंपनी को बताया कि वह फरजाद-बी परियोजना का ठेका किसी ईरानी कंपनी को देना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक, उस फील्ड में 21,700 अरब घनफुट गैस का भंडार है. इसका 60 फीसदी निकाला जा सकता है. परियोजना से रोज 1.1 अरब घन फुट गैस हासिल की जा सकती है. ओवीएल इस परियोजना के परिचालन में 40 फीसदी हिस्सेदारी की इच्छुक थी. उसके साथ इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) भी शामिल थीं. ये दोनों 40 फीसदी और 20 फीसदी की हिस्सेदार थीं.
ये भी पढ़ें-
आपकी एक गलती रोक सकती है पीएम-किसान स्कीम के 6000 रुपये, 47 लाख किसानों की पेमेंट रुकी
लगातार होती रही अनुबंध की कोशिश, लेकिन नहीं हुआ पूरा
ओवीएल ने 25 दिसंबर, 2002 को गैस खोज सेवा के लिए अनुबंध किया था. ईरान की राष्ट्रीय कंपनी ने इस परियोजना को अगस्त, 2008 में वाणिज्यिक तौर पर व्यावहारिक घोषित कर दिया था. ओवीएल ने अप्रैल, 2011 में इस गैस फील्ड के विकास का प्रस्ताव ईरान सरकार की ओर से अधिकृत वहां की राष्ट्रीय कंपनी एनआईओसी के सामने रखा था. इस पर नवंबर, 2012 तक बातचीत चलती रही, लेकिन अनुबंध तय नहीं हो सका था क्योंकि कठिन शर्तों के साथ ईरान पर अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते भी आगे बढ़ना मुश्किल हो गया था. अप्रैल, 2015 में ईरान के पेट्रोलियम अनुबंध के नए नियम के तहत फिर बात शुरू हुई. अप्रैल, 2016 में परियोजना के विकास के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बात होने के बाद भी फैसला नहीं हो सका. इसके बाद अमेरिका ने नवंबर, 2018 में ईरान पर फिर आर्थिक पाबंदी लगा दी और तकनीकी बातचीत पूरी नहीं की हो पाई.undefined
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Domestic natural gas price, Indian Oil, Iran, Iran oil Imports, ONGC
FIRST PUBLISHED : October 18, 2020, 15:52 IST