सामान किराए पर लेने से पहले ये गणित समझना बेहद ज़रूरी है.
नई दिल्ली. गर्मियां बस आने को है और आपके पास एसी, फ्रिज, कूलर पर ऑफर के मैसेजेस भी आने लगे होंगे. एक और तरह के ऑफर्स आप तक पहुंच रहे होंगे. रेंट के ऑफर. एसी खरीदना बजट में नहीं है? कोई बात नहीं, महीने का 1200 चुकाओ और हमसे किराए पर ले जाओ. पानी की बोतल मंगा-मंगाकर थक गए हैं? RO खरीदने के पैसे नहीं हैं? वरी नॉट, महीने का 500 रुपया दो और मनभर पानी पियो. सोफा, पलंग, आलमारी, टीवी सबकुछ किराए पर मिल जाता है. क्या आपको भी किराए के ये ऑफर टेम्प्टिंग लगते हैं? क्या आपको भी लगता है कि महीने के कुछ पैसे देकर जब इतना सामान यूज़ करने को मिल रहा है, तो सामान खरीदने में पैसे काहे खर्च करें? अगर हां, तो पहले ये खबर पढ़ लीजिए. फिर फैसला कीजिएगा.
किराए पर सामान लेने की वजहें क्या हैं?
पहली वजह तो है बजट की. कई बार आप कोई सामान लेना तो चाहते हैं, आपको उसकी ज़रूरत भी लगती है पर पैसा नहीं होने की वजह से आप उसे ले नहीं पाते. अब हर कोई EMI के फेर में पड़ना भी नहीं चाहता, ऐसे में किराए पर सामान लेना एक बेहतर ऑप्शन लगता है.
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सामान किराए पर लेने की दूसरी बड़ी वजह है कमिटमेंट ईशू. क्योंकि जब कोई चीज़ आपकी अपनी होती है, तो उसकी देखभाल भी. करनी पड़ती है. किराए के सामान को दो एक महीना इस्तेमाल करके बदला भी जा सकता है. कि भई नहीं जम रहा, ये वापस ले लो. हम दूसरा देख लेंगे. पर खरीदे हुए सामान को इस्तेमाल के बाद वापस नहीं किया जा सकता है. उसे बेचना ही पड़ेगा और उसकी कंडीशन कितनी भी अच्छी हो, वो बिकेगा सेकंड हैंड सामान की तरह ही.
तीसरी वजह है घर बदलने में आसानी. मतलब अगर आपने सामान किराए पर लिया हुआ है, तो घर छोड़ने से पहले आप उसका सब्सक्रिप्शन खत्म कर दें, रेंट पर देने वाली कंपनी के लोग आएंगे और अपने खर्चे पर सामान उठाकर ले जाएंगे. ज्यादातर वेबसाइट्स तो फ्री रिलोकेशन की सुविधा भी देती हैं. मतलब घर बदलने के लिए आपको बस झोला उठाकर चल देना होगा. पर अगर अपना सामान होगा तो घर बदलते वक्त आपको पैकर्स एंड मूवर्स बुलाना होगा. उसका चार्ज अलग से देना होगा.
लेकिन क्या किराए पर सामान लेना सच में एक बजट फ्रेंडली सौदा है?
ये समझने के लिए हमने किराए का फर्नीचर और इलेक्ट्रिकल सामान यूज़ करने वाले दो लोगों से बात की
पेशे से मैनेजमेंट कंसल्टेंट कामिनी बताती हैं कि वो किराए के घर में रहती हैं. मकान मालिक ने वैसे तो घर में सारा सामान दिया हुआ है, पर वॉटर प्यूरिफायर और एसी घर पर नहीं है. कामनी ने पहले साल वॉटर प्यूरिफायर किराए पर लिया. महीने के लगभग 600 रुपये उन्हें किराए के देने होते थे यानी साल के करीब 7200 रुपये. सालभर बाद उनको रियलाइज़ हुआ कि 8000 में तो अच्छी कंपनी के RO अवेलेबल हैं. मतलब उन्होंने RO का लगभग पूरा पैसा चुकाया, लेकिन RO उनका हुआ नहीं. अगले साल उन्होंने RO खरीद लिया, बीते तीन साल में रेगुलर मेंटेनेंस के अलावा उन्हें RO पर कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ा है. हालांकि, एसी के मामले में कामिनी का कहना है कि लोकल इलेक्ट्रॉनिक दुकान से एक सीज़न के लिए सात-आठ हज़ार रुपये में एसी किराए पर लेना उन्हें ज्यादा सुभीता लगता है.
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इसी तरह अजीश बताते हैं कि उन्होंने एक साल के लिए एक डबल और एक सिंगल बेड किराए पर लिया हुआ है. दोनों के महीने में 1500 रुपये जाते हैं. यानी साल के 18,000. उनका कहना है कि पहले उन्होंने इस बारे में सोचा नहीं, वर्ना किराए की जगह ईएमआई चुकाकर वो 18,000 रुपये से कम में एक सिंगल और एक डबल बेड आसानी से खरीद सकते थे. अजीश का कहना है कि अगर आप कुछ महीनों के लिए कहीं शिफ्ट हो रहे हो या अपनी ज़रूरत का शॉर्ट टर्म सॉल्यूशन खोज रहे हों, केवल तब किराए पर सामान लेना बजट फ्रेंडली है. पर अगर आपका प्लान साल-दो साल या उससे ज्यादा समय का है तब रेंट पर सामान लेना आपको खरीदने से महंगा पड़ेगा ये तय है.
क्या सामान लेने पर केवल सामान का किराया चुकाना होता है?
हमने सामान रेंट पर देने वाली वेबसाइट्स पर चेक किया. ये वेबसाइट्स थीं फर्लेंको, रेंटिकल और रेंटोमोजो. इन वेबसाइट्स पर हमने एक थ्री सीटर सोफ़ा देखा.
फर्लेंको पर हमने एक थ्री सीटर सोफ़ा पसंद किया. किराया था 618 रुपये महीना. पर यहां एक पेच था. ये किराया केवल उस कंडीशन में था जब सोफा 12 महीने के लिए किराए पर लिया जाए. वही सोफा तीन महीने के लिए किराए पर लेने की कंडीशन में किराया 1312 रुपये था. अब मान लीजिए कि आप ये सोफा 12 महीने के लिए किराए पर लेने का ऑप्शन चुनते हैं, तो इसमें आपको 12 महीने का किराया एक साथ देना पड़ता है. यानी बाकी सारे चार्जेस मिलाकर करीब 9000 रुपये. इस पर आपको नो कॉस्ट ईएमआई भी मिल जाएगा. यानी पूरे पैसे आपको अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड से एक बार में चुकाना ही पड़ेगा. और उसके बाद बिल के हिसाब से ईएमआई देते रहना होगा. टेक्निकली ये किराया नहीं है, एक तरह की ईएमआई ही है. मतलब आप पैसे भी दे रहे हैं और सामान आपको मिल भी नहीं रहा है.जबकि इसी तरह का सोफा आप खरीदने जाएंगे तो उसकी कीमतें 10 हज़ार से शुरू हो जाती हैं. और हां, यही सोफा फर्लेंको पर ही आप सेकंड हैंड खरीद सकते हैं 15 हज़ार रुपये में.
रेंटोमोजो हमने जो थ्री सीटर सोफा देखा उसका किराया था 719 रुपया महीना. यहां भी वही पेच, 12 महीने के लिए किराए पर लेने पर 719 रुपया किराया. तीन महीने के लिए लेने पर किराया एक कम 900 रुपये तक जाता है. अब यहां पर आपको 1109 रुपये की सिक्योरिटी जमा करनी होगी. ताकि अगर आपसे सामान को कोई नुकसान पहुंचे, या आप टाइम से पहले अपना सब्स्क्रिप्शन खत्म करें तो उससे फाइन काटा जा सके. यहां अगर आप तय समय से पहले सब्सक्रिप्शन खत्म करते हैं तो आपको फाइन देना होगा. 12 महीने का सब्सक्रिप्शन पहले रोकने पर आपको डेढ़ महीने का किराया फाइन के तौर पर चुकाना होगा. अगर आपका सब्सक्रिप्शन खत्म हो जाता है तो जो प्लान आपने लिया हुआ है, उसी के हिसाब से किराया देते हुए आप सामान को अपने पास रखे रह सकते हैं. सामान का बिल हर महीने आपको भेजा जाएगा, जो आपको चुकाना होगा. यहां सामान बुक करते हुए आपको सिक्योरिटी और डिलिवरी चार्ज ही देना होगा.माने रेंटोमोजो एक टिपिकल किराया सिस्टम की तरह काम करता है. पर कीमत की बात करें तो आपको साल के 8628 रुपये चुकाने ही होंगे. माने अगर ये सोफा आप दूसरे साल भी रेंट करते हैं तो जितना रेंट आप दो साल में देंगे उतने में ये आप खुद खरीद लेंगे.
तीसरी वेबसाइट हमने देखी रेंटिकल. यहां पर किसी सामान को एक महीने से लेकर 36 महीनों तक के लिए किराए पर लेने का ऑप्शन था. यहां जो सोफा हमने देखा उसके एक महीने का किराया 789 रुपये था. ये भी वैसा ही 12 महीने के लिए लेने पर. एक महीने के लिए यही सोफा लेने पर किराया 2559 रुपये था. 24 महीने के लिए लेने पर 749 रुपया महीना और टोटल 17,976. यहां पर भी 1923 रुपये की सिक्योरिटी पहले देनी होती है. इसके साथ ही तय समय से पहले प्लान बंद करने पर यहां भी फाइन वसूला जाता है. यहां फाइन कैल्कुलेट करने का तरीका थोड़ा कॉमप्लेक्स है. मान लीजिए आपने 12 महीने का प्लान लिया. पर आप 7 महीने में प्लान बंद करना चाहते हैं तो उससे एक महीना पहले यानी 6 महीने के प्लान के हिसाब से आपका किराया फिर से कैल्कुलेट होगा. और जो भी किराया आएगा वो आपको पूरा चुकाना पड़ेगा.
अब इन सबमें अगर आप 3 या 6 महीने के लिए सामान लेते हैं, तो उसका किराया इतना ज्यादा नहीं पड़ता कि ये कहा जा सके कि इससे अच्छा तो खरीद ही लेते. पर जुगाड़ और एडजस्टमेंट में माहिर ज्यादातर इंडियंस 6-8 महीने के लिए तो गद्दा बिछाकर ही काम चला लेते हैं. सुविधाएं उनको लंबे ड्यूरेशंस के लिए ही चाहिए होती हैं. लेकिन जैसे ही आप सालभर या उससे ज्यादा समय के लिए कोई सामान किराए पर लेते हैं तो आप टेक्निकली उस सामान की आधी या तीन चौथाई या कई केसेस में पूरी कीमत चुका रहे होते हैं और सामान की ओनरशिप भी आपको नहीं मिलती है.
अब गर्मी का टाइम है तो हमने इन रेंट वेबसाइट्स पर एसी भी खोजने की कोशिश की. रेंटिकल और फर्लेंको पर एसी के ऑप्शंस हमें नहीं मिले. रेंटोमोजो पर एक टन एसी का सबसे सस्ता ऑप्शन 1859 रुपया महीने का था. 12 महीने के लिए लेने पर. इसमें 6 महीने का ऑप्शन चुनने पर किराया बढ़कर 2089 रुपये होता है यानी टोटल 12500 रुपये. माने अगर दो सीज़न भी एसी बुक करवाते हैं तो 25,000 के करीब देने होंगे. जबकि अच्छे ब्रांड्स के एक टन स्प्लिट एसी की कीमत 30-32 हज़ार रुपये से शुरू हो जाती है.
तो अगर सामान किराए पर लेने का आपका रीज़न बजट है, तो एक बार फिर सोचिए.अगली बार बेड मात्र 400 रुपया महीना या फ्रिज मात्र 700 रुपया महीना वाला ऐड देखते ही बुक करने से पहले एक बार उस सामान की कीमत ऑनलाइन चेक कीजिएगा. अगर कीमत किराए के आसपास हो तो किराए की जगह EMI का ऑप्शन चुनना फाइनेंशियली वाइस डिसीजन होगा क्योंकि अपना सामान आप कम कीमत पर ही सही बेच भी सकते है.
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