शेयर मार्केट (Share Market) पर एक साथ कई फैक्टर असर डाल रहे हैं. इसी कारण शेयर बाजार हिचकोले खा रहा है.
नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार साल 2022 में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव वाला रहा है. इस तिमाही में स्टॉक मार्केट में जितना अप-डाउन हुआ है, उतना शायद पहले किसी तिमाही में नहीं हुआ है. शेयर बाजार एक दिन ऊपर जाता है तो अगले ही दिन औंधे मुंह गिर जाता है. जनवरी, 2022 में निफ्टी 18,300 पर पहुंच गया तो मार्च में यह 15,800 पर आ गया.
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने शेयर बाजार में आ रहे इस उतार-चढ़ाव के लिए लोलापालूजा इफेक्ट को जिम्मेदार बताया है. लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोतीलाल ओसवाल के एमडी एवं सीईओ आशीष शंकर कहना है कि मार्केट पर एक साथ कई फैक्टर असर डाल रहे हैं. इसी कारण शेयर बाजार हिचकोले खा रहा है.
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क्या है लोलापालूजा इफेक्ट
लोलापालूजा इफेक्ट (Lollapalooza Effect) टर्म बर्कशायर हैथवे के वाइस-चेयरमैन चार्ली मुंगेर ने यह टर्म दिया था. इसका अर्थ यह है कि कई बार कई चीजें एक साथ मिलकर इंसान के व्यवहार को निर्धारित करती हैं. इसका परिणाम पॉजिटिव और निगेटिव, दोनों तरह के नतीजों के रूप में हो सकता है. अगर इस टर्म के परिपेक्ष्य में भारतीय शेयर बाजार का आंकलन किया जाए तो पता चलता है कि शेयर बाजार पर भी बहुत से कारक एक साथ प्रभाव डाल रहे हैं.
तीन-चार महीनों में कुछ बड़ी घटनाएं हुए हैं, जो स्टॉक मार्केट को सीधा प्रभावित कर रही हैं. इनमें रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी प्रमुख हैं. यूक्रेन संकट के कारण जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ गई हैं और कमोडिटी की सप्लाई पर बहुत असर पड़ा है. इससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ रही है. इसी तरह विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के ब्याज दरें बढ़ाने या फिर भविष्य में बढ़ाने के संकेत देने से अर्थव्यवस्था और इंडस्ट्री पर सीधा नकारात्मक असर हुआ है.
कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद दुनियाभर में सरकारों ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की थी. अब जब इकोनॉमी में रिकवरी हो रही तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है. इससे दुनियाभर के शेयर बाजारों उतार-चढ़ाव हो रहे हैं.
भारतीय बाजार के फंडामेंटल मजबूत
बाजार जानकारों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार के फंडामेंटल्स मजबूत हैं. इसका पता इससे चलता है कि भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद शेयर बाजार बहुत ज्यादा नहीं गिरा है. हाल के अपने सबसे ऊंचे स्तर से निफ्टी 50 सिर्फ 5 फीसदी गिरा है. इसका मतलब है कि मध्यम से लंबी अवधि में मार्केट के लिए चिंता की कोई बात नहीं है.
शॉर्ट टर्म के लिए जारी रह सकता है कंसॉलिडेशन
बाजार जानकारों का कहना है कि थोड़े और समय के लिए मार्केट में कंसॉलिडेशन बरकरार रह सकता है. इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में निवेशकों को ज्यादा उत्साहित होकर निवेश करने से बचना चाहिए. इस समय मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों के शेयरों में थोड़ा-थोड़ा निवेश कर सकते हैं. शॉर्ट टर्म में मुनाफा कमाना अभी थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है. लॉग टर्म के लिए निवेश के लिए फिलहाल स्थितियां अनुकूल हैं. शेयर बाजार में हर गिरावट पर निवेशक थोड़ी खरीदारी कर सकते हैं.
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