नई दिल्ली. पाइप निर्माण उद्योग में अग्रणी जिंदल एसएडब्ल्यू लिमिटेड ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर हंटिंग एनर्जी सर्विसेज के साथ एक नए संयुक्त उद्यम के गठन की घोषणा की. भारत का पहला ‘अत्याधुनिक’ प्रीमियम ओसीटीजी थ्रेडिंग प्लांट जिंदल एसएडब्ल्यू लिमिटेड के साथ बहुमत शेयरधारक के रूप में 51 फीसदी : 49 फीसदी साझेदारी में नासिक में स्थापित किया जाएगा. प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप यह संयुक्त उद्यम, भारत से दुनिया के भिन्न हिस्सों में ओसीटीजी के लिए प्रीमियम कनेक्शन के दरवाजे खोलेगा और तेल तथा गैस ड्रिलिंग जैसी गतिविधियों में शामिल संस्थानों के लिए आयात प्रतिस्थापन के रूप में काम करेगा.
इस तरह, भारत इस सेगमेंट में आत्मनिर्भर हो जाएगा. उल्लेखनीय है कि संयुक्त साझेदार, हंटिंग एनर्जी सर्विसेज प्रीमियम कनेक्शन समाधान विकसित करने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी है. इस संयुक्त उद्यम में प्रारंभिक निवेश लगभग 20-25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का होगा और भारत में प्रीमियम ओसीटीजी के लिए संभावित वार्षिक बाजार आकार 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है।यह समझौता 2019 में एक रणनीतिक गठजोड़ के बाद दोनों व्यवसायों के बीच एक करीबी काम-काजी साझेदारी को औपचारिक रूप देता है. इससे पहले जिंदल एसएडब्ल्यू लिमिटेड और हंटिंग एनर्जी सर्विसेज ने भारत में तेजी से बढ़ते ऑयल कंट्री ट्यूबलर गुड्स (ओसीटीजी) बाजार में अपनी उपस्थिति का विकास शुरू किया था.
जिंदल एसएडब्ल्यू लिमिटेड के जीसीईओ और डब्ल्यूटीडी नीरज कुमार ने कहा कि हमें इस परियोजना के लिए हंटिंग एनर्जी सर्विसेज के साथ हाथ मिलाकर खुशी हो रही है. हमारे सामूहिक प्रयास और संयुक्त ताकत से ओसीटीजी विनिर्माण क्षेत्र और घरेलू बाजार में इसके उपयोग में क्रांति आएगी. जिंदल हमेशा उद्योग में एक गेम-चेंजर रहा है और यह साझेदारी इस उभरते उद्योग में एक कदम आगे होगी.
इस अवसर पर हंटिंग पीएलसी के सीईओ जिम जॉनसन ने कहा कि भारतीय ओसीटीजी बाजार हंटिंग के लिए महत्वपूर्ण विकास क्षमता प्रदान करता है. हमें 2019 के बाद से अपने उत्कृष्ट कामकाजी संबंधों का लाभ उठाते हुए जिंदल एसएडब्ल्यू लिमिटेड के साथ इस संयुक्त उद्यम समझौते में प्रवेश करने की खुशी है. एक बार हम प्रीमियम गुणवत्ता वाले सीमलेस पाइप का निर्माण शुरू करें तो यह साझेदारी भारत और समग्र उद्योग के लिए बदलाव लाने वाली होगी. आगे बढ़ते हुए हमारी योजना भारत में इसके आयात को कम करने की है.
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