नई दिल्ली. पढ़ाई का खर्च दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है और महामारी ने लाखों लोगों की कमाई को बुरी तरह प्रभावित किया है. ऐसे में हजारों ऐसे युवा होंगे जो अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के लिए बैंक से लोन लेंगे. अगर आपको भी एजुकेशन लोन चाहिए तो आवेदन से पहले कुछ टर्म को समझ लेना बेहतर होगा.
दरअसल, बैंक एजुकेशन लोन को काफी जोखिम वाला मानते हैं और यही कारण है कि इसकी ब्याज दरें भी अन्य कर्ज की तुलना में ज्यादा रहती हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि बैंक में एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई करने से पहले इसकी कुछ बारीकियों को जान लिया जाए. फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म इनक्रेड के एजुकेशन लोन प्रमुख नीलांजन चट्टोराज ऐसी की कुछ काम की जानकारियों से आपको रूबरू करा रहे हैं.
एजुकेशन लोन का मूलधन
यह राशि बैंक की ओर से आपको दी गई कर्ज की मूल राशि को बताती है. बैंक आपसे इसी राशि के एवज में ब्याज वसूलते हैं. लिहाजा एजुकेशन लोन लेने से पहले आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक की ओर दी जाने वाली राशि आपकी पढ़ाई से जुड़े सभी खर्च उठाने के लिए पर्याप्त है अथवा नहीं. ऐसा न हो कि बैंक से लोन लेने के बावजूद आप पढ़ाई के दौरान आर्थिक तंगी का शिकार बन जाएं.
कोलैटरल या गिरवी रखना
हम पहले ही बता चुके हैं कि बैंक एजुकेशन लोन को काफी जोखिम भरा मानते हैं. ऐसे में वे आपको लोन देने से पहले इसके एवज में कोलैटरल की मांग कर सकते हैं. इसके तहत आप कोई संपत्ति गिरवी रखने के अलावा किसी को गारंटर भी बना सकते हैं. अगर आपने कर्ज चुकाने में डिफॉल्ट किया तो बैंक इसे कोलैटरल या गारंटर से वसूलेंगे.
लोन के लिए सह-आवेदक
कई बार बैंक सीधे तौर पर किसी आवेदक को एजुकेशन लोन नहीं देते. ऐसे में आप अपने अभिभावक या अन्य किसी जानकार को सह आवेदक बना सकते हैं. बैंक आपके बाद इस सह आवेदक से कर्ज की राशि वसूलते हैं. लिहाजा सह आवेदक बनाने से पहले उनकी आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है.
मोरेटोरियम की अवधि
एजुकेशन लोन के साथ सबसे खास बात होती है उसकी मोरेटोरियम अवधि. चूंकि, यह लोन पढ़ाई के लिए मिलता है, लिहाजा बैंक तत्काल इसे वसूलना शुरू नहीं करते. इस लोन पर मोरेटोरियम आपका पाठ्यक्रम पूरा होने के एक साल बाद तक या नौकरी मिलने के छह महीने बाद तक लागू रहता है. ऐसे में लोन चुकाने के लिए आपको पूरा मौका मिलता है.
कर्ज चुकाने की कुल अवधि
अपने कर्ज की कुल अवधि का चुनाव काफी सोच समझकर करना चाहिए. अगर आपने लंबी अवधि का चुनाव किया तो आपकी ईएमआई भले ही कम आएगी लेकिन पूरा लोन चुकाने तक आपको ब्याज के रूप में ज्यादा राशि का भुगतान करना होगा. वहीं, कम अवधि में लोन चुकाया तो आप पर ब्याज का बोझ भी कम हो जाएगा.
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