Knight Frank ने ग्लोबल होम बायर सर्वे में कोरोना महामारी के कारण घर खरीदारों के बदले रुख की पड़ताल की है.
मुंबई. प्रॉपर्टी कंसलटेंसी फर्म नाइट फ्रैंक (Knight Frank) ने आज जारी किए गए ग्लोबल बायर सर्वे (Global Home Buyers Survey) में कोविड-19 महामारी के कारण दुनियाभर में अपना घर खरीदने की इच्छा रखने वालों के रुख पर पड़ने वाले असर पर रोशनी डाली है. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर से सर्वे में भाग लेने वाले 19 फीसदी लोग महामारी की शुरुआत में ही अपने घऱ में शिफ्ट हो गए हैं. ऑस्ट्रेलिया और उत्तर अमेरिका में यह संख्या बढ़कर 25 फीसदी हो गई है. अब तक अपने घर में शिफ्ट नहीं करने वाले 20 फीसदी लोग 2021 के आखिर तक अपना घर खरीदना चाहते हैं.
26% लोग कोरोना संकट के बीच अपने घर में हो गए शिफ्ट
नाइट फ्रैंक ने भारतीय खरीदारों को उच्च आयवर्ग (High Net-worth) और मध्यम आयवर्ग में बांटकर सर्वे किया. फर्म ने उच्च आयवर्ग के लोगों का जिक्र ‘ग्लोबल इंडिया सेगमेंट’ के तौर पर किया. वहीं, मध्यम आयवर्ग (Medium Net-worth) में घर खरीदारों की भावना का गहराई से आकलन किया. सर्वे रिपोर्ट में इसे ‘मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट’ कहा गया है. सर्वे के भारतीय संस्करण से पता चलता है कि 26 फीसदी मुख्यधारा के भारतीय कोरोना महामारी के दौर में ही अपने घर में शिफ्ट हो गए. इन लोगों को अपने घर में ज्यादा जगह चाहिए थी. साथ ही वे अपने परिवार और दोस्तों के नजदीक रहना चाहते थे. भारत में अब तक अपने घर में शिफ्ट नहीं हो पाने वालों में 32 फीसदी मुख्यधारा के लोग 12 महीनों के भीतर अपने घर में शिफ्ट होना चाहते हैं.
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61% भारतीयों ने जताई घरों की कीमत बढ़ने की उम्मीद
सर्वे में भाग लेने और अगले 12 महीनों में घर को बदलने की इच्छा रखने वाले 87 फीसदी लोग अपने मौजूदा शहर के उपनगरीय इलाके में शिफ्ट होना चाहते हैं. वहीं, 13 फीसदी लोग किसी दूसरे शहर में बसने की योजना बना रहे हैं. दुनियाभर में 64 फीसदी लोगों को उम्मीद है कि उनके मौजूदा घरों की कीमतें अगले 12 महीने में बढ़ेंगी. उच्च आयवर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्लोबल इंडिया सेगमेंट में 32 फीसदी लोगों को मकान की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले मेन स्ट्रीम इंडियन सेगमेंट के 61 फीसदी लोगों ने उम्मीद जताई है कि 12 महीनों में उनके मौजूदा घर के दाम बढ़ जाएंगे.
32% लोग स्वच्छ पर्यावरण को लेकर हैं काफी जागरूक
मेनस्ट्रीम इंडियन सेगमेंट के 32 फीसदी लोगों ने कोरोना महामारी के नतीजे के तौर पर 12 महीनों में अपने नए घर में शिफ्ट होने की इच्छा जताई. वहीं, नाइट फ्रैंक के सर्वे में 14 फीसदी लोगों ने कहा कि वह अपनी मौजूदा जगह को छोड़कर कहीं और बसना चाहते हैं. बढ़ती महंगाई के दौर में सभी आयवर्ग के 50 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कहा कि वह अपने ब्रैंडेड घरों के लिए कोई प्रीमियम देने के इच्छुक नहीं हैं. ग्लोबल इंडियन सेगमेंट के 32 फीसदी लोगों ने स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा वाले घरों के लिए प्रीमियम देने की इच्छा जताई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में लोगों का अपने दफ्तर का कामकाज करने का तरीका न केवल व्यावसायिक, बल्कि आवासीय क्षेत्र पर भी असर डालेगा.
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अब ऑफिस जाकर काम करना चाहते हैं काफी लोग
सर्वे में भाग लेने वाले मेनस्ट्रीम इंडिया सेगमेंट के आधे से ज्यादा लोगों को उम्मीद है कि सभी प्रतिबंधों में ढील के बाद वह पूरे हफ्ते ऑफिस जाकर काम कर सकेंगे. वहीं, 47 फीसदी को उम्मीद है कि सभी प्रतिबंधों के हटने के बाद वह दफ्तर से एक हफ्ते में 2-4 दिन काम करना बरकरार रखेंगे. वकील, आर्किटेक्ट, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेट्स का काफी झुकाव हफ्ते में 5 दिन ऑफिस से काम करने की ओर दिखा. नौकरीपेशा वर्ग में लोगों ने दफ्तर में 3 से 5 दिन तक काम करने की इच्छा जताई. इसे काफी हद तक घर से काम करने वाले टेक फर्म के कर्मचारियों का प्रभाव माना जा सकता है. दुनियाभर के 59 फीसदी लोगों ने प्रतिबंध हटने के बाद ऑफिस में 3-5 दिन काम करने की इच्छा जताई. मध्यपूर्व में ये आंकड़ा 41 फीसदी और एशिया में 36 फीसदी है.
इन कारणों से मौजूदा घर को बदलना चाहते हैं लोग
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि महामारी ने घरों का मालिक बनने के लोगों को नजरिये को बदल दिया है. दुनियाभर में पिछले कुछ महीनों में दो ट्रेंड सामने आए हैं. जगह के सवाल पर सबसे पहले पहले कुछ खरीदारों की महत्वाकांक्षा बढ़ी है. उन्हें अपने लिए एक ऐसे दूसरे घर की तलाश है, जो उन्हें खास तरह की लाइफस्टाइल दे. दूसरे कम बचत दरों और शेयर मार्केट के जबर्दस्त उछाल के कारण लोग अब वास्तविक संपत्ति खरीदने पर फोकस रखते हुए पोर्टफोलियो को संतुलित करना चाहते हैं. लोग हेल्थकेयर सुविधा और दफ्तर से घर की नजदीकी के आधार पर घर तय कर रहे हैं. बिजली की बचत करने वाले घरों की ओर भी लोग आकर्षित हो रहे हैं.
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20 फीसदी से ज्यादा तक कीमतों में वृद्धि की उम्मीद
सर्वे में हिस्सा लेने वाले दुनियाभर के दो तिहाई लोगों में से बड़ी तादाद को 12 महीने में अपने मौजूदा घर की कीमत में 1 से लेकर 9 फीसदी तक बढ़ोतरी की उम्मीद है. प्राइम ग्लोबल फोरकास्ट इंडेक्स ने भी कहा है कि 2021 में दुनियाभर में घरों की कीमतें 4 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है. सर्वे में मुंबई और कोलकाता के लगभग 58 फीसदी लोगों ने घरों की कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद जताई है, जबकि पुणे के 53 फीसदी लोगों को इसकी उम्मीद है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले दक्षिण भारतीय शहरों के 60 फीसदी से ज्यादा लोगों को 12 महीनों में घरों के दाम में 20 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है. वहीं, बेंगलुरु के 19 फीसदी और चेन्नई के 18 फीसदी लोगों को घरों की कीमतों में 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है.
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