नई दिल्ली. शायद आपने भी रसोई गैस सिलेंडर (LPG Cylinder) की एक्सपायरी डेट के बारे में सुना होगा. इन सिलेंडरों में आग लगने की घटनाओं को आम लोग अक्सर एक्सपायरी डेट से जोड़ते हैं. यहां आपको बता दें कि दरअसल यह सिर्फ भ्रांति है. एक्सपायरी डेट उन प्रॉडक्ट्स की होती है, जो किसी खास समय में खराब हो जाते हैं. एलपीजी सिलेंडर की चर्चा करें, तो इनकी मैन्यूफैक्चरिंग कई बाहरी और भीतरी मानकों के आधार पर होती है. गैस सिलेंडरों पर कोड लिखे होते हैं, जिसका संबंध टेस्टिंग डेट से होता है. इन कोड का इस्तेमाल एक्सपायरी डेट के लिए नहीं, बल्कि सिलेंडर की सेफ्टी टेस्ट (Safety Test) डेट के लिए किया जाता है.
इस संबंध में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) पहले ही सफाई दे चुकी है. कंपनी की ओर से 2007 में जारी सर्कुलर को आप इसकी वेबसाइट पर देख सकते हैं. इस सर्कुलर के मुताबिक, एलपीजी सिलेंडरों की स्टैच्युटरी टेस्टिंग और पेंटिंग के लिए डेट निर्धारित होती है. इस डेट को सिलेंडर के ऊपर एक कोड की तरह लिखा जाता है. इस कोड से स्पष्ट होता है कि अगली कौन-सी डेट पर इन्हें टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. हमारी अंग्रेजी वेबसाइट न्यूज18 के मुताबिक, गैस सिलेंडर पर ये कोड यूजर्स की सुरक्षा के लिए प्रिंटेड होते हैं. इन कोड की शुरुआत में लिखे अंग्रेजी अक्षर ए, बी, सी और डी चार 1 वर्ष की चार तिमाहियों को इंगित करते हैं.
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ऐसे समझें प्रिंटेड कोड को
गैस सिलेंडर पर प्रिंटेड कोड को आप इस तरह समझ सकते हैं. मान लीजिए कि आपके सिलेंडर पर A 22 प्रिंटेड है, तो इसका मतलब कैलेंडर वर्ष 2022 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में इसे टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. इसी तरह, B 22 जिन सिलेंडरों पर लिखा होगा, उन्हें इस साल की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल, मई, जून के बीच री-टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. इसी प्रकार, जुलाई, अगस्त और सितंबर तिमाही के बीच टेस्टिंग के लिए C 22 प्रिंट होगा. वहीं, अर्थ है कि इन्हें तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर के बीच टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा. वहीं, डी का उपयोग अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए किया जाता है.
दो बार जांच अनिवार्य
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बताया था कि सभी एलपीजी सिलेंडर स्पेशल स्टील और प्रोटेक्टिव कोटिंग के साथ बनते हैं. इनकी मैन्यूफैक्चरिंग BIS 3196 मानक को ध्यान में रखकर की जाती है. सिर्फ उन्हीं सिलेंडर मैन्यूफैक्चरर्स को इन्हें बनाने की इजाजत होती है, जिन्हें चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव्स (CCOE) से मान्यता के साथ बीआईएस लाइसेंस हो. आपको बता दें कि रसोई गैस सिलेंडर की उम्र 15 साल होती है. आपके घर में डिलिवरी से पहले उनकी टेस्टिंग होती है. 15 साल में दो बार इनकी क्वॉलिटी जांच अनिवार्य है.
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