वित्तीय संस्थानों को लोन डूबने का खतरा लगता है तो लोन एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया जाता है.
नई दिल्ली. आमतौर पर लोन के दो प्रकार होते हैं. पहला सुरक्षित और दूसरा असुरक्षित. सुरक्षित लोन उसे कहा जाता है, जिसे लोन लेने वाले के किसी एसेट को गिरवी रखने के बाद जारी किया जाता है. इस तरह के लोन डूबते नहीं हैं. दूसरी तरह के लोन, जैसा कि नाम से ही साफ है, असुरक्षित होते हैं. पर्सनल लोन इसी तरह के लोन्स में आता है. पर्सनल लोन लेते समय ग्राहक को कुछ भी गिरवी रखने की जरूरत नहीं होती.
इन दोनों ही तरह के लोन की अपनी खूबियां और कमिया होती हैं. सुरक्षित लोन में ब्याज दर काफी कम होती है, जबकि असुरक्षित लोन अधिक ब्याज दरों पर जारी किया जाता है. यही वजह है पर्सनल लोन ज्यादा महंगा पड़ता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जब तक अति आवश्यक न हो, तब तक पर्सनल लोन नहीं लेना चाहिए. कोई भी इसके लिए अप्लाई कर सकता है. परंतु जरूरी नहीं कि सबको मिल ही जाए. जो लोग किसी कंपनी में नौकरी करते हैं और सैलरी पाते हैं, उनकी एप्लीकेशन्स पर पहले गौर किया जाता है. उन्हें पर्सनल लोन आसानी से मिल भी जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि लोन जारी करने वाले बैंक या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) पहले ये पुख्ता करते हैं कि लोन लेने वाला क्या री-पेमेंट में सक्षम है. यदि उन्हें लोन के डूबने का खतरा लगता है तो लोन एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया जाता है.
लोन देने से पहले ये चीजें चेक करती हैं कंपनियां
फिनवे एफएससी के सीईओ रचित चावला के अनुसार, फिक्स्ड इनकम के बिना वाले (किसी सेल्फ इंप्लाइड या बेरोजगार) को दिया गया लोन वापस आने की संभावनाएं कम होती हैं. हालांकि सैलरी पाने वाले लोगों को भी पर्सनल लोन देने से पहले कई चीजों पर विचार किया जाता है. इनमें मुख्य तौर पर कंपनी, व्यक्ति पर कर्ज, सीबिल स्कोर, और सालाना आय इत्यादि पर अधिक गौर किया जाता है.
कंपनी अथवा नियोक्ता: लोन एप्लीकेशन को ग्रीन सिग्नल देने से पहले आवेदक की योग्यता का मूल्यांकन करते समय, बैंक या एनबीएफसी, आवेदनकर्ता की कंपनी की प्रतिष्ठा को भी ध्यान में रखते हैं. यदि कंपनी काफी छोटी है तो कई बार लोन रिजेक्ट होने की संभावना रहती है. अच्छी कंपनी में काम करने वाले लोगों को पर्सनल लोन आसानी से मिल सकता है.
बकाया ऋण: बकाया ऋण का मतलब है कि लोन के लिए अप्लाई करने वाले व्यक्ति पर पहले से कितना लोन शेष है. यदि किसी पर पहले से ही लोन की राशि बाकी है तो बैंक को लग सकता है कि एकसाथ कई लोन चुकाने में उसे परेशानी होगी और ऐसे में लोन के रिपेमेंट के चांस कम हो जाएंगे. इसके उलट यदि किसी पर पहले से कोई लोन बकाया नहीं है तो वह व्यक्ति आसानी से रिपेमेंट कर सकता है.
CIBIL स्कोर: क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (CIBIL) एक क्रेडिट रेटिंग फर्म है जिसके 2400 से अधिक सदस्य हैं. इसमें वित्तीय संस्थान, NBFC, बैंक और होम फाइनेंसिंग बिजनेस शामिल हैं. यह 550 मिलियन से अधिक ग्राहकों और संगठनों के क्रेडिट हिस्टरी का मैनेजमेंट करता है. हालांकि CIBIL किसी बैंक या NBFC को लोन देने या नहीं के लिए नहीं कहता, लेकिन यह लोन लेने वाले की स्थिति के बारे में बखूबी बता देता है.
सालाना आय: जाहिर है यदि कोई व्यक्ति अच्छा कमाता है और पर्सनल लोन को आसानी से लौटने की क्षमता रखता है तो उसे लोन आसानी से मिलता है. इसलिए कंपनियां व्यक्ति की सालाना आय जरूर देखती हैं.
कितनी बार लोन के लिए अप्लाई किया: बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान हमेशा लोन एप्लीकेशन को मंजूरी देने से पहले किसी व्यक्ति की फाइनेंशियल हिस्टरी को देखते हैं. इस प्रकार, यदि कम समय में बहुत अधिक बार लोन के लिए आवेदन किया गया है, तो यह ऋणदाता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. बैंक या वित्तीय संस्थानों को लगता है कि उधारकर्ता की मौजूदा वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है.
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