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जगह होने पर भी कंपनियां मार्च तक कम देंगी नौकरियां, कहा-युवाओं के पास जानकारी ही नहीं, कैसे दे दें जॉब

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Job Opportunity : देश में नौकरियों की कमी होने के बावजूद कंपनियां नई भर्तियां करने में आनाकानी कर रही हैं. एक सर्वे में पता चला है कि कंपनियां सही प्रतिभान होने की वजह से युवाओं की भर्ती नहीं कर रही हैं. चालू तिमाही में इसका बड़ा असर पड़ने की आशंका है.

जगह होने पर भी कंपनियां नहीं दे रहीं नौकरी, बोलीं-युवाओं में प्रतिभा की कमीकंपनियां टैलेंट की कमी की वजह से युवाओं को जॉब नहीं दे रही हैं.
नई दिल्‍ली. वैकेंसी होने के बावजूद भारतीय कंपनियां जॉब देने से पीछे हट रही हैं. उनका कहना है कि युवाओं के पास सही प्रतिभा नहीं है, जिसकी वजह से उन्‍हें भर्ती नहीं किया जा सकता है. मैनपावरग्रुप टैलेंट शॉर्टेज सर्वे में बताया गया कि भारत में नियोक्ता जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान भर्ती गतिविधियों में सतर्क रुख अपना सकते हैं. इसका कारण प्रतिभा की कमी है और कंपनियां ऐसे युवाओं को भर्ती करने से पीछे हट रही हैं. यह सर्वे देश के चार क्षेत्रों के 3,000 से अधिक नियोक्ताओं के साथ किया गया है.

सर्वे में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक भर्ती मांग (53 प्रतिशत) के बावजूद भारत में 80 प्रतिशत नियोक्ता सही प्रतिभा खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यह रुझान 2022 से है और यह वैश्विक औसत 74 प्रतिशत से अधिक है जो 2024 तक अपरिवर्तित रहा है. कोई भी क्षेत्र अभाव से अछूता नहीं है और प्रतिभा की कमी वैश्विक श्रम बाजार में छाई हुई है. मैनपावरग्रुप इंडिया और पश्चिम एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप गुलाटी ने कहा कि प्रतिभा की निरंतर कमी सामूहिक कार्रवाई की तत्काल जरूरत को रेखांकित करती है. इस कमी को 2025 तक भरने के लिए 80 प्रतिशत संगठन संघर्ष कर रहे हैं.
इन क्षेत्रों को सबसे ज्‍यादा जरूरत
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), ऊर्जा और उपयोगिता जैसे उद्योग सबसे अधिक दबाव महसूस कर रहे हैं, क्योंकि डेटा और आईटी जैसे विशेष कौशल की मांग लगातार बढ़ रही है. प्रतिभाओं को खोजने, आकर्षित करने और भर्ती करने के लिए, नियोक्ता वर्तमान कर्मचारियों (39 प्रतिशत) को अधिक कौशल विकास और पुनर्कौशल अवसर प्रदान कर रहे हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य आंतरिक गतिशीलता को बढ़ावा देकर भर्ती लागत को कम करना है.
22 फीसदी करेंगे अस्‍थायी भर्ती
सर्वे के अनुसार, अस्थायी भर्ती करने के पक्ष में भी सिर्फ 22 प्रतिशत नियोक्ता ही हैं, क्योंकि वे नई प्रतिभाओं को लाने में (38 प्रतिशत) और वेतन बढ़ाने में (29 प्रतिशत) प्राथमिकता देते हैं. प्रतिभा की कमी सबसे अधिक दक्षिण भारत (85 प्रतिशत) में है. कृत्रिम मेधा (एआई) के बारे में पूछे जाने पर नियोक्ताओं ने कहा कि कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना, योग्य प्रतिभाओं को खोजना तथा अधिक लचीलापन (हाइब्रिड या घर से) प्रदान करना, प्रौद्योगिकी का पूर्ण लाभ उठाने में प्रमुख चुनौतियां हैं.
क्‍यों हो रही प्रतिभा की कमी
सर्वे में कहा गया है कि कंपनियां तेजी से विकसित हो रही तकनीक को अपना रही हैं. लेकिन, युवाओं में उस तकनीक को लेकर कौशल की कमी रहती है. युवा तेजी से बदल रही तकनीक को अपनाने में लेट हो रहे हैं. इसी गैप की वजह से कंपनियां अपनी जरूरत के हिसाब से भर्ती नहीं कर पा रही हैं और वैकेंसी होने के बावजूद युवाओं को मौका नहीं मिल पा रहा है.

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Pramod Kumar Tiwari
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
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