नई दिल्ली. एलआईसी का आईपीओ (LIC IPO) 31 मार्च से पहले आने वाला है. सरकार ने एलआईसी के विनिवेश के लिए सेबी में रेड हेरिंग प्रोसपेक्टस जमा करा दिया है. ड्राफ्ट मसौदे के मुताबिक, एलआईसी अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करेगी. एलआईसी के पॉलिसीहोल्डर को रिजर्व कोटा का लाभ मिलेगा.
एक या दो पॉलिसी लेने वाले ग्राहक आईपीओ में हिस्सेदारी ले सकते हैं. प्रति ग्राहक 2 लाख रुपये तक आईपीओ में लगा सकता है. अगर आप एलआईसी के पॉलिसीधारक हैं और आईपीओ खरीदना चाहते हैं तो इन पांच बातों को जरूर जान लें.
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खुद का डीमैट अकाउंट जरूरी
आईपीओ में आवेदन के लिए पॉलिसीधारक के पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. कोई भी पॉलिसीहोल्डर अपने पति या पत्नी, बेटा या रिश्तेदारों के डीमैट अकाउंट से आवेदन नहीं कर सकेगा. छूट के बाद किसी भी पॉलिसीधारक को दो लाख रुपये से ज्यादा के शेयर नहीं मिलेंगे. पॉलिसीधारक अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को आरक्षित श्रेणी का लाभ नहीं मिलेगा.
ज्वाइंट पॉलिसी में एक को ही मौका
अगर किसी ने संयुक्त रूप से पॉलिसी ले रखी है तो दोनों में से कोई एक पॉलिसीधारक ही आरक्षित श्रेणी में आवेदन कर सकेगा. आईपीओ में आवेदन करने वाले का पैन नंबर पॉलिसी रिकॉर्ड में अपडेट होना चाहिए. अगर डीमैट अकाउंट भी संयुक्त है तो आवेदक पहला या प्राथमिक खाताधारक होना चाहिए. पॉलिसीधारक अगर 18 साल से कम उम्र का है तो प्रस्तावक आरक्षित श्रेणी में आवेदन कर सकता है.
एलआईसी के पास हो रिकॉर्ड
आईपीओ खरीदने के लिए जरूरी है कि आपकी पॉलिसी का रिकॉर्ड एलआईसी के पास हो. अगर किसी ने मसौदा दस्तावेज जमा करने से पहले पॉलिसी खरीदी है और बॉन्ड पत्र बाद में मिला है तो वह भी आईपीओ खरीद सकता है. 13 फरवरी के बाद पॉलिसी खरीदने वाले इसके योग्य नहीं होंगे.
कर्मचारियों के पास कई विकल्प
एलआईसी ने अपने कर्मचारियों के लिए भी आईपीओ का एक हिस्सा आरक्षित रखा है. अगर किसी के पास एलआईसी की पॉलिसी भी है तो वह कर्मचारी, पॉलिसी रिजर्वेशन और खुदरा निवेशक के तौर पर अलग-अलग आवेदन भी कर सकता है. एलआईसी ने स्पष्ट किया है कि ऐसे निवेशकों की ओर से किए गए तीनों आवेदन मान्य होंगे.
कोई लॉक-इन पीरियड नहीं
आईपीओ में आवेदन करने वाले पॉलिसीधारकों के लिए कोई भी लॉक-इन पीरियड नहीं होगा. पॉलिसीधारक आईपीओ के शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद अपने इक्विटी शेयरों की बिक्री कर सकेंगे. आम तौर पर आईपीओ में निवेश करने वालों कुछ निवेशकों पर लॉक-इन अवधि की शर्त लागू होती है.
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