नई दिल्ली. आखिरकार एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) का इंतजार खत्म हो गया है. एलआईसी ने सेबी के पास डीआरएचपी (Draft Red Herring Prospectus) फाइल कर दी है. इसका मतलब है कि जल्द ही एलआईसी का आईपीओ आ सकता है. दस्तावेज के मुताबिक, सरकार आईपीओ के जरिए एलआईसी में करीब 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है.
सरकार 6.32 अरब शेयरों में से करीब 31.6 करोड़ इक्विटी शेयर बेचेगी. इसकी फेस वैल्यू 10 रुपये है. इस ओएफएस आईपीओ के जरिए जितना भी पैसा जुटाया जाएगा, वह सारा सरकार के खजाने में जाएगा, न कि एलआईसी के पास, क्योंकि कंपनी की तरफ से कोई नया शेयर जारी नहीं किया जा रहा है. माना जा रहा है कि यह आईपीओ 60,000 से 90,000 करोड़ रुपये का होगा. एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) से सरकार को विनिवेश के संशोधित लक्ष्य 78 हजार करोड़ रुपये को हासिल करने में मदद मिलेगी.
कामकाज पर असर
महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियों से एलआईसी के कामकाज पर भी असर हुआ है. निवेश में गिरावट आई है. दिसंबर तिमाही में एलआईसी की शेयर बाजार में हिस्सेदारी घटकर रिकॉर्ड निचले स्तर आ गई. मार्केट वैल्यू घटकर महज 3.67 फीसदी रह गई है.
क्लेम सेटलमेंट बढ़ा
कोरोना को दौरान एलआईसी का क्लेम सेटलमेंट बढ़ा है. 2018-19 डेथ क्लेम अमाउंट 17,128.8 करोड़, 2019-20 में 17,527.9 करोड़, वित्त वर्ष 20-21 में 23,926.8 करोड़ और चालू वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2021 के बीच 21,734.1 करोड़ रहा. यह कुल इंश्योरेंस क्लेम का 6.79 फीसदी, 6.86 फीसदी, 8.29 फीसदी और 14.47 फीसदी है.
ब्रांड को धक्का
कोरोना के कारण इंश्योरेंस मांग में शानदार तेजी दर्ज की गई. इस संकट के समय एलआईसी के एंप्लॉयी और एजेंट्स ने ब्रांड नाम का दुरुपयोग किया. इससे एलआईसी ब्रांड को गहरा धक्का पहुंचा है.
रिस्क मैनेजमेंट टूल कारगर नहीं
एलआईसी परंपरागत रूप से काम कर रही है. रिस्क मैनेजमेंट टूल उतने कारगर नहीं रह गए हैं. बदलते वक्त में रिस्क इवैल्युएशन और रिस्क मैनेजमेंट का तरीका बदल गया है. एलआईस ने इसको लेकर बहुत बड़े बदलाव को स्वीकार नहीं किया है.
आरबीआई की शर्त
भारतीय जीवन बीमा निगम आईडीबीआई बैंक और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस की पैरेंट कंपनी है. आरबीआई ने कहा कि अगले महीने के भीतर दोनों में किसी एक को अपने हाउसिंग फाइनेंस बिजनेस को बंद करना होगा. इसी शर्त पर एलआईसी आईपीओ को मंजूरी दी है.
प्रभावित होगा कारोबार
भारत की मैक्रो इकोनॉमी कमजोर हो रही है, जबकि एलआईसी का कारोबार भारतीय बाजार पर निर्भर है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने पर बीमा कंपनी का कारोबार भी प्रभावित होगा.
महंगाई और ब्याज दर का असर
भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर यूरोप, अमेरिका और अन्य एशियाई बाजारों का असर होता है. वैश्विक महंगाई उच्च स्तर पर है. फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने वाला है. इससे घरेलू बाजार में गिरावट की आशंका है. इसका असर आईपीओ पर भी होगा.
नियमों में बदलाव का असर
सेबी के जमा प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर नियमों में कोई बदलाव होता है तो इसका असर कारोबार पर होगा. आने वाले समय में भारत या दुनिया में अगर किसी तरह का फाइनेंशियल रेग्युलेशन आता है तो इसका असर दिखाई देगा. कॉरपोरेट टैक्स के मोर्च पर किसी तरह के एक्शन का असर होगा.
ये भी कारण
एलआईसी में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी है. 95 फीसदी हिस्सेदारी तब भी प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के पास होगी, जिसे मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस देखता है. ऐसे में सरकार से जुड़े सभी फैक्टर्स का इस पर असर होता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Investment, LIC IPO, Life Insurance Corporation of India (LIC), SEBI