मोदी सरकार जिन विषयों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है उनमें कृषि अहम है. 2014 में जब पहली बार नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे तो उन्होंने खेती-किसानी को अपनी प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा था. जब उन्हें जनता ने दूसरी पारी का मौका दिया तो अपनी पहली कैबिनेट बैठक में जो सबसे बड़े फैसले लिए वो किसानों से ही जुड़े थे. प्रधानमंत्री ने बाड़मेर (राजस्थान) से पहली बार सांसद बने युवा चेहरा कैलाश चौधरीको खेती-किसानी के काम को आगे बढ़ाने के लिए राज्यमंत्री बनाया. चौधरी ने कृषि भवन में न्यूज18 हिंदी के विशेष संवाददाता ओम प्रकाश से कृषि के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की. पेश है खास अंश:
सवाल: क्या सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर पाएगी?
कैलाश चौधरी: हमारे पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच साल किसानों के लिए काम किया. सरकार की दूसरी पारी की जो पहली कैबिनेट हुई उसमें तीन बड़े निर्णय किसानों के लिए हुए. जिसमें किसान सम्मान निधि का विस्तार किया गया, किसानों के लिए पेंशन लागू की गई. जब शुरुआत ही किसानों से ही है तो मानकर चलिए कि आने वाले समय में किसानों की आमदनी दोगुनी ही नहीं उससे भी आगे जाएगी.
चौधरी ने कहा, मोदी सरकार ने आसान की किसानों की जिंदगी
सवाल: अप्रैल 2016 में इनकम डबलिंग कमेटी गठित की गई थी, तब कृषि परिवारों की औसत मासिक आय 6426 रुपये थी, अब उनकी इनकम कितनी हो गई है?
कैलाश चौधरी: मोदी सरकार लगातार वो काम कर रही है जिससे किसानों की आय बढे. हमारी सरकार ने किसानों का समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना किया. बाजरे में तो दोगुना तक कर दिया. स्वायल हेल्थ कार्ड से किसानों की दशा सुधरी, उत्पादन लागत कम हुई है, फसलों का उत्पादन बढ़ा है, ऐसा होने से आमदनी भी बढ़ी है. नीम कोटेड यूरिया से भी किसान लाभान्वित हुए हैं. किसान सम्मान निधि से किसानों का काम और आसान हुआ है. हम जैविक खेती को बढ़ाकर भी किसानों की कमाई बढ़ा रहे हैं.
सवाल: आपने किसान सम्मान निधि की बात की, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में एक भी किसान को लाभ नहीं मिला, आखिर क्यों?
कैलाश चौधरी: केंद्र सरकार का काम है पैसा देना लेकिन दिल्ली, पश्चिम बंगाल और कुछ कांग्रेसी सरकारें सहयोग नहीं कर रही हैं. ये सरकारें जान बूझकर किसान सम्मान निधि के लिए सूची भेज नहीं रही हैं. जिसकी वजह से इन राज्यों के किसानों को 6000 रुपये नहीं मिल रहे हैं. इसका जवाब उन्हें जनता देगी. कुछ राज्य सरकारें इस स्कीम में सहयोग न करके किसानों के साथ धोखा कर रही हैं. मैं तो यही कहूंगा कि जब केंद्र पैसा भेज रहा है तो राज्यों को किसानों के हितों के पर कुठाराघात नहीं करना चाहिए.
सवाल: राजस्थान में भी बहुत कम किसानों को पैसा मिला है, जहां से आप खुद आते हैं?
कैलाश चौधरी: मैं यही तो कह रहा हूं कि कांग्रेस की सरकारें ऐसा जान बूझकर कर रही हैं. किसान सब देख रहा है. उसी का परिणाम है कि विधानसभा चुनाव में जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी उसी में लोकसभा चुनाव में जनता के प्रचंड समर्थन के साथ बीजेपी वापस आई है. इसके पीछे कारण ये है कि कांग्रेस सरकारों ने किसानों के साथ धोखा किया. किसानों का कर्जा माफ नहीं किया. जिससे किसानों ने मोदी पर विश्वास किया. हम नकली खाद और बीज पर अंकुश लगाकर भी किसानों की मदद कर रहे हैं.
सवाल: किसान सम्मान निधि का विस्तार किया है क्या इसकी रकम 6000 रुपये से आगे भी बढ़ाई जा सकती है?
कैलाश चौधरी: इसमें स्कोप है. किसान की जैसी आवश्यकता है उसके अनुसार प्रधानमंत्री निर्णय लेंगे. सरकार किसानों के हित के लिए हमेशा खड़ी है. उनके लिए ये सरकार अच्छा निर्णय ही लेगी. हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसका लाभ सभी किसानों को मिले.
सवाल: आईसीएआर के तहत जो सौ से ज्यादा संस्थान आते हैं उनमें से लगभग 60 में रेगुलर डायरेक्टर नहीं हैं. उनकी नियुक्ति कब होगी?
कैलाश चौधरी: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले जिन संस्थानों में आवश्यकता होगी वहां डायरेक्टर जरूर लगाए जाएंगे. स्टाफ और वैज्ञानिकों की कमी नहीं होने दी जाएगी. क्योंकि वैज्ञानिकों के माध्यम से ही हम अच्छी फसल पैदा कर सकते हैं. खेती में नई-नई तकनीक को ला सकते हैं. इसलिए हमारी सरकार रिक्त पदों को भरने का काम भी करेगी.
राजस्थान के बाड़मेर से सांसद हैं कैलाश चौधरी
सवाल: कृषि की 60 से अधिक यूनिवर्सिटी हैं लेकिन उनमें से सालाना मुश्किल से 25 हजार विद्यार्थी ही बाहर निकलते हैं, क्या वजह है?
कैलाश चौधरी: इस देश को आजाद हुए 70 साल हो गए. जिन लोगों ने इस पर 60 साल राज किया, उन्होंने कृषि पर ध्यान नहीं दिया. कृषि की ऐसी देशा कर दी कि आज किसान खेती को छोड़कर शहरों में जाना चाहता है. जब किसानों की आय बढ़ेगी तो युवाओं का कृषि के प्रति रुझान भी बढ़ेगा, इसके प्रति नकारात्मक भाव भी दूर होगा. वादा करता हूं कि तब कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वालों की भीड़ भी होगी.