नई दिल्ली. 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार कुछ ऐसे कदम उठा सकती है, जिससे मोबाइल और गैजेट्स (Gadgets) की कीमतों में गिरावट आ जाएगी. मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सरकार कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन के कंपोनेंट व कुछ पार्ट पर सीमा शुल्क (Customs Duties) में कटौती की मंशा बना रही है.
सरकार का मकसद लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (Consumer Electronics) से जुड़े उत्पादों का निर्यात बढ़ाना है. कस्टम से जुड़ी प्रकियाओं को भी आसान बनाया जाएगा, ताकि आयातकों पर कम्प्लायंस बोझ घटाया जा सके. बजट में ऑडियो डिवाइस और स्मार्टवॉच, स्मार्टबैंड जैसे वियरेबल्स के कंपोनेंट पर भी सीमा शुल्क घटाया जा सकता है. इससे घरेलू कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी. इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री ने भी इस पर सीमा शुल्क घटाने की गुहार लगाई थी.
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दोगुना हो सकता है इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात
कम्युनिकेशंस एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने पिछले दिनों कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट के क्षेत्र में भारत तेजी से उभर रहा है. मोबाइल फोन उत्पादन और निर्यात में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. अनुमान है कि 2025-26 तक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट का निर्यात 8 अरब डॉलर पहुंच जाएगा, जो 2020-21 में लगभग कुछ भी नहीं था. इतना ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्यात भी इसी अवधि में दोगुना बढ़कर 17.3 अरब डॉलर पहुंच सकता है.
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2026 तक मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बन जाएगा भारत
आईटी मिनिस्टर के अनुसार, हम अपनी मौजूदा क्षमता के जरिये बैटरी पैक्स, चार्जर, यूएसबी केबल, कनेक्टर, इंडक्टिव क्वॉयल, मैग्नेटिक्स और फ्लेक्सिबल पीसीबीए (Printed Circuit Board Assembly) बनाने के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ सकते हैं. इस तरह 2026 तक भारत 300 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कर दुनिया का पावरहाउस बन सकता है. अभी हमारी उत्पादन क्षमता 75 अरब डॉलर के आसपास है.
25 अरब डॉलर के कंपोनेंट बनाने की क्षमता
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत भारत सालाना 25 अरब डॉलर के कंपोनेंट बना सकता है, जो दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेट का 12 फीसदी है. इसके लिए सीमा शुल्क को मौजूदा 20 फीसदी से घटाकर वित्तवर्ष 2023-24 के लिए 5 फीसदी, 2024-25 के लिए 10 फीसदी, 2025-26 के लिए 15 फीसदी हो सकता है. अन्य कंपोनेंट पर भी 2024-25 के लिए 5 फीसदी और 2025-26 के लिए 10 फीसदी किया जा सकता है.
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