नई दिल्ली. पिछले दिनों केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Ladakh) ने इनरलाइन परमिट (Inner Line Permit) की व्यवस्था को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया. केंद्र सरकार के निर्देश के बाद लद्दाख प्रशासन ने यह बड़ा फैसला लिया. इस फैसले के बाद अब देश के दूसरे हिस्सों से आने वाले सैलानी (Tourists) भी लद्दाख में कहीं भी बेरोकटोक घुम-फिर सकेंगे. पहले भारतीय और स्थानीय लोगों को भी लद्दाख के दूसरे हिस्सों में जाने के लिए इनरलाइन परमिट लेना अनिवार्य था. अब यहां सैलानियों के आने के लिए किसी भी सरकारी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी. इनरलाइन परमिट एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज (Official Travel Document) होता है. इसको संबंधित राज्य सरकार या केंद्रशासित प्रदेश जारी करती है. इस तरह का परमिट भारतीय नागरिकों को भी देश के अंदर के किसी संरक्षित क्षेत्र में एक तय समय के लिए यात्रा की इजाजत देता है. परमिट के एवज में सैलानियों को कुछ शुल्क का भी भुगतान करना पड़ता है.
क्या होता है इनरलाइन परमिट व्यवस्था
बता दें कि इनरलाइन परमिट लद्दाख में यात्रा करने के लिए एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है, जिसे पहले राज्य सरकार जारी करती थी, लेकिन केद्रशासित प्रदेश बनने के बाद इस व्यवस्था को अब बंद कर दिया गया है. सरकार की मानें तो लद्दाख में इस तरह का परमिट लेना कूटनीतिक दृष्टि से भी सही नहीं था. इसलिए केंद्र सरकार के निर्देश के बाद इस व्यवस्था को अब हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया है.
पहले आपको देना होता था इतना शुल्क
गौरतलब है कि लद्दाख में आने वाले पर्यटकों को पहले यहां की यात्रा के लिए विशेष इनरलाइन परमिट लेना होता था. साल 2017 में शुरू हुई इस व्यवस्था के तहत सैलानियों से 300 रुपये पर्यावरण शुल्क और 100 रुपये रेड क्रास फीस ली जाती थी. खासकर लद्दाख में अगर आप पैंगोंग, नुब्रा वैली, तुर्तुक और दाह जैसे एरिया में 2017 के बाद गए होंगे तो आपको 400 रुपये देने पड़ते थे, लेकिन नई व्यवस्था में अब इस शुल्क को माफ कर दिया गया है.
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बौद्ध आबादी वाले लद्दाख को राज्य प्रशासन ने अलग संभाग का दर्जा दिया है. यहां लेह और करगिल दो जिले हैं तथा इसका मुख्यालय लेह है. लद्दाख अपनी विषम भौगौलिक परिस्थितियों के लिए जाना जाता है. बर्फीला रेगिस्तान कहलाने वाले लद्दाख में साल में लगभग 6 महीने आइसोलेशन में ही गुजरते हैं. यानी यहां आवाजाही लगभग नहीं के बराबर हो जाती है. हालांकि, खुले मौसम और बेहद खुशगवार वादियों-घाटियों की वजह से पर्यटन ही यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. यहां के लोगों के बारे में माना जाता है कि वे काफी ईमानदार और खुशमिजाज होते हैं. यही वजह है कि यहां आने वाले अधिकतर सैलानी होटलों की बजाए होम-स्टे को तरजीह देते हैं.
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Tags: Laddakh, Modi government, Tourist Destinations, Tourist Places, Tourists
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