वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी.
नई दिल्ली. 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपना आखिरी आम बजट पेश करने जा रही मोदी सरकार गांवों पर मेहरबान हो सकती है. संभव है कि सरकार का फोकस ग्रामीण विकास पर हो, क्योंकि एक्सपर्ट मान रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों पर खर्च को 50 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2023 का आम बजट 1 फरवरी 2023 को पेश करेंगी.
मनीकंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, सूत्रों ने ग्रामीण विकास पर सरकार के खर्च को 1.60 लाख करोड़ रुपये किया जा सकता है. इस वित्त वर्ष (FY 2022-23) के लिए केंद्र सरकार ने गांवों के विकास के लिए 1.36 लाख रुपेय का बजट रखा था.
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कोरोना से उबरे, अब नजर रोजगार पर
आम बजट को बहुत करीब से देखने और समझने वाले जानकारों का कहना है कि 2020-21 में कोरोना ने जनता को काफी परेशान किया है. अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं. शहरों में रोजगार की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों पर दबाव है. अब सरकार की प्राथमिकता गांवों में रोजगार पैदा करने की होगी. यही वजह है कि गांव आने वाले आम बजट 2023-24 के केंद्र में गांव रह सकते हैं.
सरकार, न्यूनतम रोजगार गारंटी योजना के लिए आवंटन को बढ़ा सकती है. मनरेगा (MNREGA) ने इस कठिन समय में लोगों की काफी मदद की है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) ने आंकड़े बताते हैं कि इस वित्त वर्ष में अधिकतर महीनों में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 7 फीसदी से अधिक रही है. अक्टूबर में तो यह दर 8 फीसदी पार करके 8.05 फीसदी तक पहुंच गई थी.
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मनरेगा पर अब तक 63,200 करोड़ खर्च
इस वित्त वर्ष के लिए मोदी सरकार ने मनरेगा के लिए 73,000 करोड़ रुपये रखे थे. इसके अलावा हाउसिंग स्कीम के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, सरकार मनरेगा पर अब तक 63,200 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
यह भी एक अहम कारण
कृषि विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, इस बार खरीफ की फसल कमजोर रह सकती है. इसका सीधा असर गांवों में रहने वाले लोगों की आय पर पड़ेगा. इस वजह से भी आने वाले आम बजट में मोदी सरकार किसान और गांवों पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकती है. किसानों के लिए फर्टीलाइज़र की सब्सिडी को रिवाइज़ भी किया जा सकता है.
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