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Mutual Funds से आय पर टैक्स कितना और कैसे लगता है, जानिए इससे जुड़े महत्वपूर्ण नियम

 मार्च 2020 से 190-340% तक का रिटर्न देने वाले टॉप 5 स्मॉल कैप इक्विटी फंड

मार्च 2020 से 190-340% तक का रिटर्न देने वाले टॉप 5 स्मॉल कैप इक्विटी फंड

म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश तेजी से बढ़ रहा है. बैंक एफडी में घटती ब्याजदर की वजह से लोग तेजी से Mutual Fund ...अधिक पढ़ें

    मुंबई . म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश तेजी से बढ़ रहा है. बैंक एफडी में घटती ब्याजदर की वजह से लोग तेजी से Mutual Fund की तरफ आकर्षित हुए हैं. साथ ही, यह टैक्स के लिहाज से भी टैक्स-एफिशिएंट इंस्ट्रूमेंट्स साबित होता है. हालांकि अभी भी फिक्स्ड डिपोजिट बहुत सारे लोग पसंदीदा निवेश विकल्प है. लेकिन अगर आप इसमें हाई टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो आपको ब्याज पर टैक्स भी ज्यादा भरना पड़ता है.

    इस मामले में म्यूचुअल फंड कई मायनों में बेहतर साबित हुए है. इस पर मिलने वाले रिटर्न पर अलग तरीके से टैक्स कैलकुलेशन होता है, बजाय टैक्सेबल आय में जोड़कर स्लैब के मुताबिक टैक्स कैलकुलेट करने के. इनके अलावा वित्त मंत्रालय 0.001 फीसदी का सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) भी किसी इक्विटी या हाइब्रिड इक्विटी-ओरिएंटेड फंड की खरीद और बिक्री पर लेती है. डेट फंड के यूनिट्स की खरीद बिक्री पर कोई एसटीटी नहीं लगता है.

    म्यूचुअल फंड में निवेश पर दो तरह से मिलता है रिटर्न

    म्यूचुअल फंड में निवेश पर दो तरीके से रिटर्न मिलता है- डिविडेंड्स और कैपिटल गेन. जब कंपनी के पास सरप्लस कैश बचता है तो इसे निवेशकों के निवेश के अनुपात में डिविडेंड के रूप में दिया जाता है. इस पर टैक्स कैलकुलेट करने के लिए इसे टैक्सेबल इनकम में जोड़कर स्लैब के मुताबिक टैक्स कैलकुलेट किया जाता है. अभी एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये तक का डिविडेंड टैक्स-फ्री है.

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    वहीं, दूसरी तरफ कैपिटल गेन म्यूचुअल फंड में निवेश की निकासी करने पर होने वाला प्रॉफिट है और इस पर टैक्स इस पर निर्भर करता है कि पूंजी इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड में से किसमें निवेश हुई है और इसे निवेश कितने समय तक बना रहा.

    कैपिटल गेन्स पर इस तरह बनती है टैक्स देनदारी

    इक्विटी फंड्स के कैपिटल गेन्स पर टैक्स देनदारी: अगर इक्विटी फंड्स का होल्डिंग पीरियड 12 महीने से कम का है तो इस पर मिलने वाला प्रॉफिट शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स होगा और इस पर फ्लैट 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. इसके अलावा इस पर सेस व सरचार्ज भी लगाया जाता है.

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    12 महीने से अधिक तक की होल्डिंग पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स होगा और 1 लाख रुपये तक का गेन्स टैक्स-फ्री है. 1 लाख रुपये से अधिक का लांग टर्म कैपिटल गेन्स 10 फीसदी की दर से टैक्सेबल होता है और इस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट भी नहीं मिलता है. इसके अलावा इस पर सेस व सरचार्ज भी लगाया जाता है.

    डेट फंड्स के कैपिटल गेन्स पर टैक्स देनदारी: जिस म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में 65 फीसदी से अधिक डेट इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं वे डेट फंड्स के अंतर्गत आते हैं. इस फंड को तीन साल से पहले अगर रिडीम करते हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है और इसे टैक्सेबल इनकम में जोड़कर स्लैब रेट के मुताबिक टैक्स देनदारी बनती है. तीन साल के बाद अगर डेट फंड के यूनिट्स की बिक्री की जाती है तो प्रॉफिट लांग टर्म कैपिटल गेन होता है और इस पर इंडेक्सेशन के बाद 20 फीसदी की दर से टैक्स देयता बनती है. इसके अलावा इस पर सेस व सरचार्ज भी लगाया जाता है.

    हाईब्रिड फंड पर कैपिटल गेन्स: म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में 65 फीसदी से अधिक इंस्ट्रूमेंट्स जिस कैटेगरी के हिसाब से हैं, उसी के मुताबिक ही टैक्स कैलकुलेशन होगा. जैसे कि अगर 65 फीसदी से अधिक एक्सपोजर इक्विटी का है यानी कि 65 फीसदी से अधिक निवेश इक्विटी में हुआ है तो इस पर टैक्स देनदारी इक्विटी फंड के आधार पर की जाएगी.
    (सोर्स: क्लियरटैक्सडॉटइन)

    Tags: Income tax, Income tax return, Mutual fund, Mutual fund investors, Mutual funds, Returns of mutual fund SIPs

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