नई दिल्ली. किसानों (Farmers) की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार गाय के गोबर (Cow Dung) से बना पेंट लांच करने जा रही है. यह पेंट मंगलवार को बाज़ार में आ जाएगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) मंगलवार को इसे लांच करेंगे. इसकी बिक्री खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की मदद से की जाएगी. इस गोबर पेंट को जयपुर की इकाई कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है. इस पेंट को बीआईएस (BIS) यानी भारतीय मानक ब्यूरो भी प्रमाणित कर चुका है.
दावा! एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, इको फ्रेंडली है पेंट
आयोग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि गाय के गोबर से बना यह पेंट एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और इको फ्रेंडली है. दीवार पर पेंट करने के बाद यह सिर्फ चार घंटे में सूख जाएगा. इसमें जरूरत के हिसाब से रंग भी मिलाया जा सकता है. फिलहाल इसकी पैकिंग 2 लीटर से लेकर 30 लीटर तक तैयार की गई है. सरकार के मुताबिक, अनुमान लगाया गया है कि किसानों और गौशालाओं को प्रति गाय के गोबर से 30 हजार रुपये तक की आमदनी होगी.
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गाय के गोबर से बने चप्पल-जूते
अहमदाबाद के रहने वाले दिव्यकांत दुबे 55 साल के हैं और पिछले 8-10 साल से गाय के गोबर पर काम कर रहे हैं. महज 10वीं पास दिव्यकांत पेशे से पेंटर हैं. साइन बोर्ड पेंट करके, मूर्तियां बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं, लेकिन गोबर पर काम करके उन्हें खुशी मिलती है. उन्होंने गोबर से कई उत्पाद बनाए हैं. हाल में उन्होंने गाय के गोबर से चप्पलें बनाई हैं. मजबूत, टिकाऊ और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी इन चप्पलों को बहुत ज्यादा पसंद किया जा रहा है.
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आधे घंटे पानी में रखने पर भी नहीं टूटतीं चप्पलें
दुबे बताते हैं कि गोबर की बनी ये चप्पलें स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद अच्छी हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि पुराने समय में लोग गोबर से लिपे घरों में नंगे पांव रहते थे. इसका सीधा फायदा उनकी सेहत को होता था. अब घरों को लीपना तो संभव नहीं है, लेकिन गोबर की बनी चप्पलें पहनने से ये सभी फायदे शरीर को मिल सकते हैं. इसके साथ ही अगर इन चप्पलों को आधे घंटे तक पानी में भी रखा जाता है तो वे खराब नहीं होती और न ही टूटती हैं.
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गाय के गोबर की बनी मूर्तियां होती हैं इको-फ्रेंडली
चप्पलों के अलावा दिव्यकांत ने गोबर की प्रतिमाएं बनाई हैं. गोबर के गणेश, लड्डू गोपाल, राधा कृष्ण, सरस्वती, राम सीता आदि की मूर्तियां बनाई हैं. वे कहते हैं कि गोबर से बनी होने के कारण से मूर्तियां वातावरण को शुद्ध करती हैं. साथ ही ये पूरी तरह ईको फ्रेंडली, ऑर्गेनिक होती हैं. इन्हें जहां भी विसर्जित किया जाता है, ये उस जमीन को फायदा ही पहुंचाती हैं. ये छह इंच से लेकर कई फुट तक की हैं.undefined
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Tags: Business news in hindi, Cow, Eco Friendly, Khadi, Nitin gadkari
FIRST PUBLISHED : January 11, 2021, 17:26 IST