साल 2004 में एनपीएस को लागू किया गया था.
नई दिल्ली. विपक्ष के शासन वाले तीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी और कर्मचारियों के खाते से पीएफ नियमों के तहत कटौती भी शुरू कर दी. लेकिन असर समस्या इसके बाद तब शुरू हुई जब इन राज्यों ने अपने कर्मचारियों और सरकार की ओर से एनपीएस (NPS) में जमा किए पैसे वापस मांगे.
राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील मोदी की ओर से इस बाबत उठाए गए सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने बताया कि इस बारे में फिलहाल कोई नियम नहीं है. उन्होंने पीएफआरडीए (PFRDA) के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि फिलहाल ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जिससे एनपीएस में जमा पैसा वापस किया जा सके. इससे पहले वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण भी कह चुकी हैं कि एनपीएस में जमा आम आदमी का पैसा राज्यों को नहीं दिया जा सकता. मुश्किल ये है कि रिफंड न मिलने पर इन राज्यों को या तो 16-17 साल का फंड अपनी तरफ से जमा करना होगा या फिर वापस मौजूदा (एनपीएस) व्यवस्था को ही लागू करना होगा.
वित्त मंत्रालय का दखल से इनकार
इस बारे में NEWS18 के संवाददाता आलोक प्रियदर्शी ने जब जानकारों से बातचीत की तो पता चला कि फिलहाल वित्त मंत्रालय ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है और राज्यों को पेंशन नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से डील करने के लिए कहा है. केंद्र ने दो टूक कहा है कि मौजूदा PFRDA कानून के तहत राज्य अपनी सुविधा के मुताबिक न्यू पेंशन स्कीम से बाहर नहीं कर सकते.
PFRDA ने क्या भेजा जवाब
पेंशन Regulatar PFRDA ने वित्तमंत्रालय को अपना जवाब भेजा है, जिसमें कहा है कि NPS में जमा कर्मचारी और राज्यों के योगदान के रिफंड का फिलहाल प्रावधान नहीं है. Refund के लिए मौजूदा PFRDA कानून में बदलाव करना पड़ेगा. साथ ही NPS अपनाने वाले सभी राज्यों की सहमति भी लेनी जरूरी होगी. इससे पहले झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों ने refund के लिए केंद्र से अपील की थी. साथ ही कई और राज्य भी NPS से OPS में शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं.
क्या है एक्सपर्ट का व्यू
NEWS18 के संवाददाता विनीत कुमार ने टैक्स मामलों के जानकार शरद कोहली से इस मुद्दे पर बात की. उन्होंने कहा, वैसे तो पेंशन राज्य का विषय है लेकिन नेशनल पेंशन स्कीम को लेकर सभी राज्यों ने एक एग्रीमेंट किया था, जिसके बाद ही इसे लागू किया गया. मौजूदा प्रावधानों के तहत पैसा सिर्फ रिटायरमेंट और आपात स्थिति में ही निकाला जा सकता है. इससे पहले एनपीएस से निकलने का कोई प्रावधान नहीं है. अगर पैसा निकालना है तो कानून में बदलाव करना होगा.
राज्यों पर बोझ पड़ेगा
कोहली ने कहा, अभी तक जो पैसा जमा हुआ है वह बाज़ार में निवेश किया गया है और इस पर औसतन 8 से 10 फीसदी का रिटर्न आ रहा है जो कि एक बेहतर रिटर्न माना जाता है. अगर राज्य ओल्ड पेंशन स्कीम पर लौटती है तो इससे खजाने पर बोझ अधिक पड़ेगा और सरकार के पास विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन करने वाली योजनाओं में निवेश के लिए पैसे की कमी रहेगी.
एनपीएस में 71 लाख सब्सक्राइबर
एनपीएस योजना में अभी तक केंद्र और राज्यों के मिलाकर 71 लाख सब्सक्राइबर जोड़े जा चुके हैं. इसमें से 21 लाख सब्सक्राइबर केंद्र सरकार हैं, जिनसे कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये का फंड अब तक जुटाया जा चुका है. इसी तरह, 32 राज्यों के करीब 50 लाख कर्मचारियों ने अब तक एनपीएस चुना है. इन कर्मचारियों से भी अब तक 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश कराया जा चुका है. कुल मिलाकर एनपीएस के तहत कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये का है.
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