NSE Trading Halts: क्या रही तकनीकी खामी, निवेशक कैसे हुए प्रभावित, जानिए सबकुछ

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
टेक्निकल ग्लिच या तकनीकी खामी स्टॉक एक्सचेंज के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर या यहां तक कि ब्रोकरों के साथ कनेक्टिविटी लिंक से भी जुड़ी हो सकती है.
- moneycontrol.com
- Last Updated: February 24, 2021, 9:27 PM IST
नई दिल्ली. तकनीकी गड़बड़ी (Technical Glitch) के चलते बुधवार दोपहर में दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) पर कामकाज में बाधा आई. इस तकनीकी गड़बड़ी की वजह से कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं. यहां जानिए एनएसई में आई तकनीकी गड़बड़ी से जुड़े सभी सवालों के जवाब-
टेक्निकल ग्लिच या तकनीकी खामी क्या है?
तकनीकी खामी स्टॉक एक्सचेंज के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर या यहां तक कि ब्रोकरों के साथ कनेक्टिविटी लिंक से भी जुड़ी हो सकती है. यह सामान्य व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है. यह माना जाता है कि स्टॉक में ट्रेडिंग पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होती है और एक गड़बड़ी संभावित रूप से लाखों निवेशकों को प्रभावित कर सकती है. तकनीकी गड़बड़ के कई कारण हो सकते हैं. उदाहरण के लिए स्टॉक एक्सचेंज के सिस्टम अपडेट के समय अचानक ब्रोकर एंड पर कुछ समस्या आ सकती है.
आज क्या रही तकनीकी खामी एनएसई ने बुधवार 11.40 बजे सभी प्रकार के कारोबार (इक्विटी, वायदा, करेंसी) रोक दिए थे. एनएसई ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "एनएसई के पास दो सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए कई टेलिकॉम लिंक्स हैं, जो अतिरिक्त क्षमता देते हैं. हमें दोनों ही टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से जानकारी मिली है कि उनके सिस्टम में कुछ खामी है, जिससे कामकाज पर असर पड़ा है."
क्या स्टॉक एक्सचेंजों के पास ऐसी खामी के लिए कोई बैकअप प्लान है?
आदर्श रूप से, तकनीकी गड़बड़ होने पर लंबे समय तक ट्रेडिंग नहीं रुकता है. स्टॉक एक्सचेंजों के लिए डिजास्टर रिकवरी मैकेनिज्म (Disaster Recovery Mechanisms) बनाए गए हैं. बीएसई और एनएसई में डिजास्टर रिकवरी साइट (Disaster Recovery Sites) साइटें हैं, जो मुख्य साइट या सर्वर के साथ कोई समस्या होने पर काम करते हैं.
टेक्निकल ग्लिच से निवेशक कैसे होते हैं प्रभावित
जब एक तकनीकी गड़बड़ी के कारण ट्रेडिंग रुक जाती है, तो निवेशक प्रभावित हो जाते हैं क्योंकि वे शेयर खरीदने या बेचने में सक्षम नहीं होते हैं.
ऐसी स्थिति में SEBI की भूमिका क्या है?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय पूंजी बाजारों का नियामक है और इसलिए यह सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका है कि ऐसी गड़बड़ियां नहीं होनी चाहिए. सेबी ने एनएसई से पूछा है कि बुधवार को कनेक्टिविटी बाधित होने से बाजार प्रणाली ठप होने के बाद कारोबार को 'डिजास्टर रिकवरी साइट' पर क्यों स्थानांतरित नहीं किया गया. इसके साथ सेबी ने एनएसई को सलाह दी है कि वह कारोबार बंद होने के कारण की जड़ तक जाए.
क्या भारत में पहले भी तकनीकी गड़बड़ियां हुई हैं?
पिछले कुछ सालों में हर साल कम से कम एक टेक्निकल ग्लिच हो रही है. जुलाई 2017, मई 2018, सितंबर 2019 और जून 2020 में तकनीकी गड़बड़ियां देखी गईं. हालांकि हर बार गड़बड़ी होने के कारण ट्रेडिंग नहीं रुका था लेकिन इसने निवेशकों को प्रभावित किया क्योंकि कई बार कीमतें ठीक से अपडेट नहीं हो रही थीं.
टेक्निकल ग्लिच या तकनीकी खामी क्या है?
तकनीकी खामी स्टॉक एक्सचेंज के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर या यहां तक कि ब्रोकरों के साथ कनेक्टिविटी लिंक से भी जुड़ी हो सकती है. यह सामान्य व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है. यह माना जाता है कि स्टॉक में ट्रेडिंग पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होती है और एक गड़बड़ी संभावित रूप से लाखों निवेशकों को प्रभावित कर सकती है. तकनीकी गड़बड़ के कई कारण हो सकते हैं. उदाहरण के लिए स्टॉक एक्सचेंज के सिस्टम अपडेट के समय अचानक ब्रोकर एंड पर कुछ समस्या आ सकती है.
आज क्या रही तकनीकी खामी एनएसई ने बुधवार 11.40 बजे सभी प्रकार के कारोबार (इक्विटी, वायदा, करेंसी) रोक दिए थे. एनएसई ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "एनएसई के पास दो सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए कई टेलिकॉम लिंक्स हैं, जो अतिरिक्त क्षमता देते हैं. हमें दोनों ही टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से जानकारी मिली है कि उनके सिस्टम में कुछ खामी है, जिससे कामकाज पर असर पड़ा है."
क्या स्टॉक एक्सचेंजों के पास ऐसी खामी के लिए कोई बैकअप प्लान है?
आदर्श रूप से, तकनीकी गड़बड़ होने पर लंबे समय तक ट्रेडिंग नहीं रुकता है. स्टॉक एक्सचेंजों के लिए डिजास्टर रिकवरी मैकेनिज्म (Disaster Recovery Mechanisms) बनाए गए हैं. बीएसई और एनएसई में डिजास्टर रिकवरी साइट (Disaster Recovery Sites) साइटें हैं, जो मुख्य साइट या सर्वर के साथ कोई समस्या होने पर काम करते हैं.
टेक्निकल ग्लिच से निवेशक कैसे होते हैं प्रभावित
जब एक तकनीकी गड़बड़ी के कारण ट्रेडिंग रुक जाती है, तो निवेशक प्रभावित हो जाते हैं क्योंकि वे शेयर खरीदने या बेचने में सक्षम नहीं होते हैं.
ऐसी स्थिति में SEBI की भूमिका क्या है?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय पूंजी बाजारों का नियामक है और इसलिए यह सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका है कि ऐसी गड़बड़ियां नहीं होनी चाहिए. सेबी ने एनएसई से पूछा है कि बुधवार को कनेक्टिविटी बाधित होने से बाजार प्रणाली ठप होने के बाद कारोबार को 'डिजास्टर रिकवरी साइट' पर क्यों स्थानांतरित नहीं किया गया. इसके साथ सेबी ने एनएसई को सलाह दी है कि वह कारोबार बंद होने के कारण की जड़ तक जाए.
क्या भारत में पहले भी तकनीकी गड़बड़ियां हुई हैं?
पिछले कुछ सालों में हर साल कम से कम एक टेक्निकल ग्लिच हो रही है. जुलाई 2017, मई 2018, सितंबर 2019 और जून 2020 में तकनीकी गड़बड़ियां देखी गईं. हालांकि हर बार गड़बड़ी होने के कारण ट्रेडिंग नहीं रुका था लेकिन इसने निवेशकों को प्रभावित किया क्योंकि कई बार कीमतें ठीक से अपडेट नहीं हो रही थीं.