देश में एक अप्रैल 2004 से पुरानी पेंशन योजना बंद है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली. देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को फिर से लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. बिहार (Bihar) के बाद अब यूपी (UP) में भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग होने लगी है. मंगलवार को लोकसभा (Loksabha) में बीएसपी सांसद श्याम सिंह यादव ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग की है.
आपको बता दें कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों ने पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश में एक बार फिर से पुरानी पेंशन योजना लागू होने जा रही है?पिछले महीने ही झारखंड सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मंजूरी दी थी. इससे पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में मंगलवार को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान यह मामला एक बार फिर से उठाया गया.
पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का मुद्दा संसद में उठा
बीएसपी सांसद ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना सही थी और उससे रिटायरमेंट के बाद लोगों को ठीक से गुजारा हो जाता था. नई पेंशन स्कीम में लोगों को रिटायरमेंट के बाद काफी परेशानी झेलनी पड़ती
है. लोगों को ठीक से गुजारा नहीं हो पाता है. साथ ही इस पेंशन स्कीम में लोगों को बहुत कम पेंशन मिलती है.
2004 से पूरे देश में पुरानी पेंशन योजना बंद है
गौरतलब है कि देश में एक अप्रैल 2004 से पुरानी पेंशन योजना बंद है. पुरानी पेंशन योजना को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से बदल दिया गया था. पिछले दिनों ही यूपी और बिहार के कई जिलों में इसको लेकर आंदोलन हुए थे. बिहार में नेशनल मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन स्कीम संगठन के लोगों ने कहा कि पुरानी पेंशन हमारा हक है और इसे लेकर रहेंगे. लागों ने कहा कि किसी भी कर्मी का पेंशन बुढ़ापे का सहारा होता है.
आपको बात दें कि पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत कर्मियों को सेवानिवृत्त होने के पश्चात पेंशन प्राप्त होता है, जिससे कर्मी अपने बाल बच्चों और परिवारों का पालन पोषण करते हैं. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद लोगों का आरोप है कि नई पेंशन योजना लागू होने से न परिवार चला पा रहे हैं औऱ न हीं अपने पेट भर पा रहे हैं.
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ऐसे में अब कई राज्य सरकारों का कहना है कि कोरोना के प्रभाव और केंद्र सरकार के असहयोग के कारण राज्य बड़े आर्थिक फैसले नहीं ले रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकारों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वह कर्मचारियों को केंद्र के स्तर पर ही महंगाई भत्ता दे या फिर पुरानी पेंशन योजना को प्राथमिकता दे?
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