पाकिस्तान का रुपया हुआ 'तबाह', महंगाई बढ़ने से पाकिस्तानियों की टूटेगी कमर

अब पाकिस्तान का रुपया हुआ 'तबाह', टूटेगी पाकिस्तानियों की कमर
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को एक और झटका लगा है. एक अमेरिकी डॉलर के सामने पाकिस्तान का रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गया है. ऐसे में अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि पाकिस्तान में महंगाई तेजी से बढ़ सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated: May 16, 2019, 7:28 PM IST
आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को एक और झटका लगा है. एक अमेरिकी डॉलर के सामने पाकिस्तान का रुपया सबसे ज्यादा कमजोर हो गया है. अब पाकिस्तानी रुपये की कीमत 148 प्रति डॉलर पर आ गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रुपये में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है. आने वाले दिनों में रुपया और टूट सकता है. ऐसा होने पर पाकिस्तान में महंगाई और तेजी से बढ़ने की आशंका है, क्योंकि पाकिस्तान अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है. साथ ही, कई रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली चीज़ें भी विदेशों से मंगाई जाती है. ऐसे में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के लिए इंपोर्ट महंगा हो जाएगा. लिहाजा महंगाई और तेजी से बढ़ सकती है.
क्यों गिर रहा है पाकिस्तान का रुपया- पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी खबर में बताया गया है कि आईएमएफ के साथ हुए समझौते के बाद मिले पैकेज से करेंसी बाजार पर दबाव बढ़ा है. साथ ही, करेंसी में कारोबार करने वाले ट्रेडर्स का कहना है कि अभी तक सरकार और आईएमएफ के बीच हुई डील की शर्तों का खुलासा नहीं हुआ है. ऐसे में सभी निवेशक और कारोबारियों की चिंताएं बढ़ी हुई है. इसीलिए वो तेज़ी से रुपया बेच रहे हैं. (ये भी पढ़ें-पाकिस्तान को लगा दोहरा झटका! चरमराई अर्थव्यवस्था, अब टूटेगी पाकिस्तानियों की कमर)

बढ़ेगी महंगाई- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान को अगले बजट में बिजली और गैस की कीमत में बढ़ोतरी करने की शर्त भी माननी पड़ी है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार को सब्सिडी घटानी होगी और केवल ऊर्जा क्षेत्र के ही उपभोक्ताओं से 340 अरब रुपए वसूलने पड़ेंगे.>> पाकिस्तान की नियामक संस्था 'नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेग्युलेटरी अथॉरिटी' (NEPRA) को स्वायत्त संस्था बना दिया जाएगा और इसके अहम फैसलों में पाकिस्तान की सरकार की भूमिका को सीमित कर दिया जाएगा.
>> इसके अलावा अब रुपये की कमजोरी के चलते इंपोर्ट करना महंगा हो जाएगा. लिहाजा देश में महंगाई बढ़ना लगभग तय है.(ये भी पढ़ें-75 साल तक भर सकते हैं होम लोन की EMI, ये कंपनी दे रही है ऑफर)

8 साल के निचले स्तर पर आर्थिक ग्रोथ- पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर 3.3 प्रतिशत रह सकती है. जबकि 2018-19 के लिए उसका विकास लक्ष्य 6.2 प्रतिशत था.
पाकिस्तान का विदेश कर्ज़
>> ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान पर विदेशी क़र्ज़ 91.8 अरब डॉलर हो गया है. क़रीब पांच साल पहले नवाज़ शरीफ़ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब से इसमें 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
>> पाकिस्तान पर कर्ज़ और उसकी जीडीपी का अनुपात 70 फ़ीसदी तक पहुंच गया है. कई विश्लेषकों का कहना है कि चीन का दो तिहाई कर्ज़ सात फ़ीसदी के उच्च ब्याज दर पर है.
>> पाकिस्तान में आय कर देने वालों की संख्या भी काफ़ी सीमित है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार 2007 में पाकिस्तान में आय कर भरने वालों की संख्या महज 21 लाख थी जो 2017 में घटकर 12 लाख 60 हज़ार हो गई. कहा जा रहा है कि इस साल इस संख्या में और कमी आएगी.
>> पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018 में चीन से पाकिस्तान का व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर का है. पिछले पांच सालों में यह पांच गुना बढ़ा है.
>> इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान का कुल व्यापार घाटा बढ़कर 31 अरब डॉलर हो गया. पिछले दो साल में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी आई है.
क्यों गिर रहा है पाकिस्तान का रुपया- पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी खबर में बताया गया है कि आईएमएफ के साथ हुए समझौते के बाद मिले पैकेज से करेंसी बाजार पर दबाव बढ़ा है. साथ ही, करेंसी में कारोबार करने वाले ट्रेडर्स का कहना है कि अभी तक सरकार और आईएमएफ के बीच हुई डील की शर्तों का खुलासा नहीं हुआ है. ऐसे में सभी निवेशक और कारोबारियों की चिंताएं बढ़ी हुई है. इसीलिए वो तेज़ी से रुपया बेच रहे हैं. (ये भी पढ़ें-पाकिस्तान को लगा दोहरा झटका! चरमराई अर्थव्यवस्था, अब टूटेगी पाकिस्तानियों की कमर)

बढ़ेगी महंगाई- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान को अगले बजट में बिजली और गैस की कीमत में बढ़ोतरी करने की शर्त भी माननी पड़ी है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार को सब्सिडी घटानी होगी और केवल ऊर्जा क्षेत्र के ही उपभोक्ताओं से 340 अरब रुपए वसूलने पड़ेंगे.>> पाकिस्तान की नियामक संस्था 'नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेग्युलेटरी अथॉरिटी' (NEPRA) को स्वायत्त संस्था बना दिया जाएगा और इसके अहम फैसलों में पाकिस्तान की सरकार की भूमिका को सीमित कर दिया जाएगा.
>> इसके अलावा अब रुपये की कमजोरी के चलते इंपोर्ट करना महंगा हो जाएगा. लिहाजा देश में महंगाई बढ़ना लगभग तय है.(ये भी पढ़ें-75 साल तक भर सकते हैं होम लोन की EMI, ये कंपनी दे रही है ऑफर)

8 साल के निचले स्तर पर आर्थिक ग्रोथ- पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर 3.3 प्रतिशत रह सकती है. जबकि 2018-19 के लिए उसका विकास लक्ष्य 6.2 प्रतिशत था.
पाकिस्तान का विदेश कर्ज़
>> ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान पर विदेशी क़र्ज़ 91.8 अरब डॉलर हो गया है. क़रीब पांच साल पहले नवाज़ शरीफ़ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब से इसमें 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
>> पाकिस्तान पर कर्ज़ और उसकी जीडीपी का अनुपात 70 फ़ीसदी तक पहुंच गया है. कई विश्लेषकों का कहना है कि चीन का दो तिहाई कर्ज़ सात फ़ीसदी के उच्च ब्याज दर पर है.
>> पाकिस्तान में आय कर देने वालों की संख्या भी काफ़ी सीमित है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार 2007 में पाकिस्तान में आय कर भरने वालों की संख्या महज 21 लाख थी जो 2017 में घटकर 12 लाख 60 हज़ार हो गई. कहा जा रहा है कि इस साल इस संख्या में और कमी आएगी.
>> पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018 में चीन से पाकिस्तान का व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर का है. पिछले पांच सालों में यह पांच गुना बढ़ा है.
>> इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान का कुल व्यापार घाटा बढ़कर 31 अरब डॉलर हो गया. पिछले दो साल में पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी आई है.