पाकिस्तान की इमरान खान सरकार को लगा झटका! अब तक के इतिहास में हुआ सबसे बड़ा घाटा (AP Photo/Jon Gambrell)
इमरान खान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री (Pakistan Prime Minister Imran Khan) बने एक साल पूरा हो गया है, लेकिन बीते एक साल में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (Pakistan Economy) डूबने की कगार पर पहुंच गई है. पाकिस्तानी अखबार की वेबसाइट डॉन (Dawn) में छपी खबर के मुताबिक, पिछले एक साल में फिस्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटा) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. यह GDP का 8.9 फीसदी हो गया है.
डॉन की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान (Pakistan) की आजादी के बाद अब तक का यह सबसे बड़ा फिस्कल डेफिसिट है. अगर आम भाषा में समझें तो मतलब साफ है कि सरकार की आमदनी घट गई और खर्चों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.
आपको बता दें कि IMF ने भी कुछ दिन बाद ही बेलआउट (Pakistan Bailout Package) पैकेज के लिए पहली बार समीक्षा करने जा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान के लिए नई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं. IMF ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तमाम कड़ी शर्तें रखी थीं, लेकिन फिलहाल किसी भी शर्त पर इमरान की सरकार खरी उतरती नजर नहीं आ रही है.
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पाकिस्तान को हुआ अब तक का सबसे बड़ा घाटा- पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान का फिस्कल डेफेसिट देश के कुल घरेलू उत्पाद का 8.9 फीसदी (3.45 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए) तक पहुंच गया है जबकि पिछले साल यह 6.6 फीसदी था.
>> इमरान खान की सरकार की नाकामी का यह एक बड़ा सबूत है, क्योंकि सरकार ने खुद बजट घाटा जीडीपी का 5.6 फीसदी तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया था. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकार का बजट घाटा तय लक्ष्य से 82 फीसदी बढ़ गया है. भारी-भरकम बजट घाटे की वजह से 2019-20 का बजट दो महीने के भीतर ही अपनी अहमियत खो चुका है.
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>> रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान सरकार ने पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा खर्च किया, लेकिन राजस्व में इस साल 6 फीसदी की गिरावट आई है. पाक वित्त मंत्रालय के मुताबिक, कर्ज और रक्षा बजट पर ही 3.23 ट्रिलियन खर्च हुआ जो सरकारी राजस्व का कुल 80 फीसदी है.
फिस्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटा) क्या होता है- अगर आसान भाषा में कहे तो सरकार जितना कमाती है. मतलब जो भी पैसा टैक्स और अन्य चीजों पर वसूलती है. वहीं, उससे ज्यादा खर्च कर देती है. कमाई कम और ज्यादा खर्च के बीच जो अंतर आता है, उसे वित्तीय घाटा कहते हैं. सरकार उधार लेकर, विदेशी निवेशकों से पैसा लेकर, बॉन्ड या सिक्योरिटीज जारी करके सरकार इस वित्तीय घाटे की भरपाई कर लेती है.
क्या होता है वित्तीय घाटे के बढ़ने से- वित्तीय घाटे के बढ़ने का मतलब है कि सरकार की उधारी बढ़ेगी और अगर उधारी बढ़ेगी तो सरकार को ब्याज भी ज्यादा देना होगा. अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए वित्तीय घाटे को काबू में रखना बेहद जरूरी है नहीं तो कभी भी पाकिस्तान डिफॉल्ट कर सकता है.
>>अगर वे इस तिमाही में आईएमएफ के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाते हैं तो टैक्स बढ़ाने के लिए एक नया मिनी बजट लाया जा सकता है ताकि आईएमएफ के रीव्यू में पास हुआ जा सके. तारिक के मुताबिक, पिछली तिमाही में गैर-कर राजस्व में 98 फीसदी की गिरावट की वजह से कुल राजस्व में 20 फीसदी की कमी आई है.
>> पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के फिजूलखर्ची रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार अपने खर्च को कम करने और राजस्व बढ़ाने में नाकाम रही है. यहां तक कि सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें भी बढ़ा दी थीं.
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