पाकिस्तान की स्थानीय फॉरेन एक्सचेंज एसोसिएशन को डर है कि कहीं रुपये में और ज्यादा गिरावट न आ जाए.
नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है और एशियन देशों की करेंसियों में गिरावट देखने को मिली है. भारत का रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, लेकिन पाकिस्तानी करेंसी के कमजोर होने से पाक के मुद्रा बाजार में दहशत का माहौल है. यहां तक कि पाकिस्तान की स्थानीय फॉरेन एक्सचेंज एसोसिएशन ने इस डर को कबूल भी किया है.
मनीकंट्रोल के एक समाचार में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तानी रुपये में सोमवार को 2 फीसदी और मंगलवार को 3 फीसदी की गिरावट आई थी. गिरावट पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पिछले सप्ताह समझौते के शुरुआती स्तर पर पहुंचने के बावजूद आई, जिससे पाकिस्तान को 1.17 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज मिलने का रास्ता साफ होता दिख रहा है.
फिच ने घटाई पाक की सॉवरेन डेट रेटिंग
बुधवार की सुबह, पाकिस्तानी रुपया एक डॉलर के मुकाबले गिरकर 225 पर आ गया, जोकि एक दिन पहले मंगलवार को 221.99 पर था. उधर, रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार सुबह जारी एक रिपोर्ट में पाकिस्तान की सॉवरेन डेट रेटिंग को स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया है. हालांकि, इसने पाकिस्तान की दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा की इश्यू डिफॉल्ट रेटिंग B पर बरकरार रखी है.
रुपये के और नीचे जाने का डर
पाकिस्तान के एक फॉरेन एक्सचेंज एसोसिएशन, द एक्सचेंज कंपनीज़ ऑफ पाकिस्तान के महासचिव जफर पराचा ने बताया, “बाजार में दशहत है. मुझे डर है कि यह (पाकिस्तानी रुपया) अभी और नीचे जाएगा.”
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पराचा ने कहा कि उन्हें आईएमएफ की संभावित पूर्व-शर्तों के अलावा पाकिस्तानी रुपये में गिरावट का कोई कारण नहीं दिखता. रुपये में और गिरावट की जरूरत के बारे में न तो सरकार और न ही आईएमएफ ने कुछ कहा है. हालांकि, पाकिस्तान ने हाल ही में आर्थिक सुधार के एजेंडे के हिस्से के रूप में IMF की सलाह पर बाजार आधारित विनिमय दर को अपनाया है.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, “रुपये में हालिया उतार-चढ़ाव बाजार आधारित विनिमय दर प्रणाली की एक विशेषता है.” साथ ही यह भी कहा कि डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का अवमूल्यन काफी हद तक एक वैश्विक घटना है.
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पाकिस्तान के हालात बुरे
बता दें कि पाकिस्तान आर्थिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है. इसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है और इसके साथ ही इसका राजकोषीय और वर्तमान घाटा बढ़ रहा है. इस बीच, 21 दिसंबर से अब तक पाकिस्तानी रुपये में 18 फीसदी की गिरावट आई है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 9.8 अरब डॉलर पर आ गया है और वह मुश्किल से 45 दिनों के आयात का भुगतान कर सकता है.
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