नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी के बाद लोगों को प्यार में फंसाकर ठगने की घटनाओं में बहुत तेजी देखी गई है. प्यार के नाम पर ठगी पहले भी होती रही है लेकिन महामारी के कारण लोगों में अकेलेपन और भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं ने उन्हें और आसान टारगेट बना दिया है. इसमें सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स निभा रहे हैं.
पिछले 2 सालों में ‘डिजिटल रोमांस स्कैम’ की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है. इसमें लोगों को करोड़ों रुपये की चपत लगी है. ठग पहले से लोगों को लूटने के लिए ऑनलाइन साइट्स का सहारा लेते रहे हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी ने उनके लिए इस काम को और आसान कर दिया है.
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रोमांस स्कैम्स
वर्चुअल चैट्स व वीडियो कॉलिंग के जरिए मुलाकातों ने अपराधियों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं. आरबीसी वेल्थ मैनेजमेंट की वल्नरेबल क्लाइंट इनीशिएिव की सीनियर मैनेजर टैरा एंब्रोस कहती हैं, “पिछले 4 सालों में कुछ सबसे बड़े घोटालों में रोमांस स्कैम शामिल हैं. दुनिया में अकेलेपन, अनिश्चितता और घबराहट ने लोगों को बहुत कमजोर कर दिया है.” वह कहती हैं कि ऐसे स्कैम्स में पिछले एक साल में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है.
सोशल मीडिया का बड़ा योगदान
सोशल मीडिया के जरिए होने वाले रोमांस स्कैम इतने बड़े स्तर पर पहुंच गए हैं कि इसी साल नेटफ्लिक्स ने इस पर ‘टिंडर स्विंडलर’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी जिसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला था. इसमें एक ठग की कहानी दिखाई गई थी जिसने हीरा कारोबारी बनकर 3 महिलाओं को ठगा था. हालांकि, उस व्यक्ति ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. लेकिन सोशल मीडिया के जरिए हुए रोमांस स्कैम एक सच्चाई हैं. 2021 में अमेरिका में 95,000 लोगों ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है. इसमें कुल 77 करोड़ डॉलर की ठगी की गई है. 2019 में यह रकम 10.5 करोड़ डॉलर थी. केवल 2 साल के अंदर इसमें करीब 7 गुना वृद्धि देखी गई है. सोशल मीडिया के जरिए होने वाली ठगी के मामले में केवल रोमांस स्कैम केवल इन्वेस्टमेंट फ्रॉड से पीछे है.रोमांस स्कैम में पैसों की रिकवरी करना लगभग नामुमकिन होता है. सोशल मीडिया के जरिए होने वाली ठगी के मामले में केवल रोमांस स्कैम केवल इन्वेस्टमेंट फ्रॉड से पीछे है.
किस आयुवर्ग को किया जा रहा टारगेट
इस मामले में दर्ज हुई शिकायतों पर गौर किया जाए तो ठगों ने अपना सबसे बड़ा निशाना वरिष्ठ नगारिकों को बनाया है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि खुद को टेक सैवी समझने वाले युवा इससे बच गए हैं. एक जानकार के अनुसार, युवाओं को लगता है कि वह प्रोद्योगिक के बीच ही बड़े हुए हैं तो उन्हें सब कुछ पता है लेकिन ऐसी जालसाजी में फंसने वाले लोगों में से एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है.
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