सरकारी तेल कंपनियों ने 6 अप्रैल के बाद से पेट्रोल-डीजल के रेट में बदलाव नहीं किया है.
नई दिल्ली. पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में वैसे तो 6 अप्रैल, 2022 के बाद से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन जल्द ही इसकी कीमतों में और गिरावट की संभावना जरूर दिख रही है. वह भी छोटी-मोटी कटौती नहीं, बल्कि 10 फीसदी तक कीमतें कम होने का अनुमान है. ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के भाव में बड़ी गिरावट आने की वजह से यह कयास लगाए जा रहे हैं.
दरअसल, ग्लोबल मार्केट में ब्रेंट क्रूड का भाव गिरकर जनवरी के स्तर पर आ गया है. अभी यह 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास ट्रेड कर रहा है, जबकि डब्ल्यूटीआई 78 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. पिछले कुछ समय में यह 81 डॉलर तक पहुंच गई थी. साल की शुरुआत में जहां कच्चे तेल के भाव 150 डॉलर तक चले गए थे, वहीं अब इसमें 50 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है. कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केडिया का कहना है कि जब क्रूड में 1 डॉलर की कमी आती है तो देश की रिफाइनरी कंपनियों को प्रति लीटर तेल पर 45 पैसे की बचत होती है. इस लिहाज से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार जारी नरमी से सरकारी रिफाइनरी कंपनियों का घाटा भी अब तक पूरा हो चुका है. लिहाजा इस बात की संभावना बढ़ गई है कि अब पेट्रोल-डीजल के रेट में भी कटौती हो.
एक्सपर्ट का कहना है यह कटौती कितनी बड़ी होगी नहीं कह सकते, लेकिन इसमें करीब 10 से 15 फीसदी की गिरावट आ सकती है. यानी पेट्रोल-डीजल करीब 10 से 15 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो सकता है. हालांकि, तेल कीमतों में एकसाथ इतनी बड़ी कटौती नहीं की जा सकती, लेकिन पहले की तरह सिलसिलेवार ढंग से इसके रेट नीचे आ सकते हैं.
क्रूड सस्ता होने की बड़ी वजह
कच्चे तेल के भाव में गिरावट की तीन सबसे बड़ी वजहें हैं. पहली तो यह कि ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती की वजह से दुनियाभर में ईंधन की खपत घट रही है. इससे तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक पर भी कीमतें घटाने का दबाव है. चीन में विरोध-प्रदर्शन और कोरोना संक्रमण बढ़ने से लॉकडाउन की वजह से ईंधन की खपत कम हो गई है. अमेरिका और यूरोप के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद रूस का तेल ग्लोबल मार्केट में सप्लाई हो रहा जिससे मांग के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा दिख रही और इसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर भी साफ दिख रहा है.
तेल कंपनियों के घाटे में कमी
पिछले दिनों सरकारी तेल कंपनियों की ओर से दावा किया गया था कि उन्हें पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर करीब 15 रुपये का घाटा हो रहा है. हालांकि, बदले माहौल में अब कंपनियों को प्रति बैरल तेल पर करीब 245 रुपये की बचत हो रही है. ऐसे में कंपनियों को रहा घाटा भी अब खत्म हो रहा है और वे तेजी से मुनाफे की ओर लौट रही हैं. केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी पिछले दिनों कहा था कि सरकारी तेल कंपनियों को अब पेट्रोल की बिक्री पर तो मुनाफा होने लगा है, लेकिन डीजल पर प्रति लीटर 4 रुपये का घाटा अब भी हो रहा.
दाम घटने में समय लगेगा
कमोडिटी एक्सपर्ट केडिया का कहना है कि ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव अभी और बढ़ेगा. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती की खबरों से दुनियाभर में तेल की खपत घटने लगी है. चीन भी अपनी दिक्कतों से जूझ रहा और उसके हालिया इंडस्ट्रियल आंकड़े भी निराशाजनक हैं. ऐसे में क्रूड का भाव 70 डॉलर तक जा सकता है. इसका फायदा मिलेगा लेकिन उसमें कुछ वक्त लग सकता है. सस्ता हुआ क्रूड रिफाइनरी से निकलकर ग्राहक तक पहुंचने में समय लगता है.
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