Fact Check: सरकार ने 2.5 लाख से ज्यादा अखबारों के टाईटल किए निरस्त? जानें क्या है सच

सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से किया बाहर
Fact Check: केंद्र सरकार ने ढाई लाख से अधिक अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिया है साथ ही सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया है. जानिए इस खबर में कितनी सच्चाई है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 20, 2020, 2:49 PM IST
नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है. वायरल न्यूज आर्टिकल में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने ढाई लाख से अधिक अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिया है साथ ही सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया है. इस खबर के वायरल होने के बाद से मीडिया जगत में हड़कंप मच गया. जब इस खबर की जांच-पड़ताल की गई तो यह पूरी तरह फर्जी निकली. पीआईबी फैक्ट चेक ने बताया कि यह दावा फर्जी है. केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
भारत सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने साफ कहा है कि ये खबर फर्जी है. भारत सरकार ने द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
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इस खबर में दावा किया जा रहा था कि केंद्र सरकार ने 2,69,556 अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिए हैं साथ ही 804 अखबारों को डीएवीपी ने विज्ञापन सूची से बाहर कर दिया है. खबर में कहा जा रहा था कि मोदी सरकार ने पिछले एक साल की जांच के बाद यह कदम उठाया है. इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम को पुरानी सारी गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए हैं. इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं.
भारत सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पीआईबी फैक्ट चेक (PIB Fact Check) ने साफ कहा है कि ये खबर फर्जी है. भारत सरकार ने द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
दावा: एक न्यूज़ आर्टिकल में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने ढाई लाख से अधिक अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिया है साथ ही सैंकड़ों अखबारों को डीएवीपी की सूची से बाहर कर दिया है।#PIBFactCheck: यह दावा फर्जी है। केंद्र सरकार द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। pic.twitter.com/Kecdg9C7Ft
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) November 20, 2020
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इस खबर में दावा किया जा रहा था कि केंद्र सरकार ने 2,69,556 अखबारों का टाईटल निरस्त कर दिए हैं साथ ही 804 अखबारों को डीएवीपी ने विज्ञापन सूची से बाहर कर दिया है. खबर में कहा जा रहा था कि मोदी सरकार ने पिछले एक साल की जांच के बाद यह कदम उठाया है. इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम को पुरानी सारी गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए हैं. इसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के अखबार-मैग्जीन (संख्या 59703) और फिर उत्तर प्रदेश के अखबार-मैग्जीन (संख्या 36822) हैं.