पीपीएफ पर मौजूदा ब्याज दर 7.1 फीसदी है. (news18)
नई दिल्ली. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) लॉग टर्म में निवेश करने वालों के लिए हमेशा से पसंदीदा विकल्प बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण है जोखिम रहित और स्थायी रिटर्न व टैक्स छूट. पिछले एक दशक के आंकड़े देखें तो पीपीएफ में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. मोदी सरकार ने साल 2014 में सत्ता में आते ही पीपीएफ में निवेश की सीमा को बढ़ा दिया था, जिससे ज्यादा टैक्स छूट मिलने लगी. वहीं एक दशक में इसकी ब्याज दरों में बड़ी कटौती की जा चुकी है.
साल 2013 के बाद से ही पीपीएफ पर ब्याज दरें लगातार घटती जा रही हैं. साल 2014 में सरकार ने पीपीएफ में निवेश की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना कर दी थी. हालांकि, तब से अब तक ब्याज दर 8.8 फीसदी से गिरकर 7.1 फीसदी पर आ गई है. यानी महज एक दशक के भीतर इस योजना पर ब्याज दरों में 1.7 फीसदी घट गई है. आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो साल 2013 में पीपीएफ पर ब्याज 8.8 फीसदी था, जो अब घटकर 7.1 फीसदी रह गया है.
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साल दर साल घट रहा ब्याज
पीपीएफ पर ब्याज की बात करें तो 1 अप्रैल, 2013 से लेकर 31 मार्च, 2014 तक इस कुल ब्याज 8.7 फीसदी था और निवेश की सीमा 1 लाख रुपये थी. इसके बाद 1 अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2016 तक इसमें निवेश की सीमा बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई, जबकि ब्याज द र 8.7 फीसदी ही रही. अप्रैल, 2016 से सितंबर 2016 के बीच पीपीएफ की ब्याज दर रिवाइज हुई और यह 8.1 फीसदी पर आ गई.
आगे भी घटता रहा ब्याज
इसके बाद अक्टूबर 2016 से मार्च 2017 के बीच पीपीएफ की ब्याज दर फिर से घटी और यह 8 फीसदी पर आ गई. यह सिलसिला रुका नहीं और जून 2017 तक इसकी दर गिरकर 7.9 फीसदी पहुंच गई. सितंबर आते-आते पीपीएफ की ब्याज दर घटकर 7.8 फीसदी हो चुकी थी. फिर जनवरी से सितंबर 2018 के बीच इसमें 0.20 फीसदी की और गिरावट हुई. ब्याज घटकर 7.6 फीसदी पर आ गया.
कोरोनाकाल में बड़ी कटौती
अक्टूबर 2018 से जून 2019 के बीच इसकी ब्याज दर बढ़ी और 8 फीसदी पर पहुंच गई, लेकिन जुलाई 2019 से मार्च 2020 तक इसमें फिर गिरावट आई और प्रभावी ब्याज दर 7.9 फीसदी पर आ गई. फिर आया कोरोनाकाल का समय और सरकार ने अप्रैल 2020 में इसकी ब्याज दर घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया, जो अभी तक कायम है. इसमें निवेशक की अधिकतम सीमा 1.5 लाख ही बनी हुई है.
अन्य योजनाओं के मुकाबले कितना कारगर
पीपीएफ पर ब्याज दर भले ही कम हो लेकिन इस पर मिलने वाली टैक्स छूट इसे लोकप्रिय बनाती है. साथ ही सरकार की ओर से निश्चित रिटर्न की गारंटी भी निवेशकों को इसकी तरफ आकर्षित करती है. अगर अन्य रिटायरमेंट योजनाओं को देखें तो पीएफ पर ब्याज दर तो 8.1 फीसदी है, लेकिन इसमें निवेश सिर्फ नौकरीपेशा व्यक्ति ही कर सकता है, जबकि पीपीएफ का खाता कोई भी खुलवा सकता है. रिटायरमेंट फंड में निवेश पर रिटर्न तो अच्छा मिलता है. कुछ फंड सालाना 10 फीसदी तक का रिटर्न दे रहे हैं, लेकिन उसमें टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता. कुल मिलाकर पीपीएफ की ब्याज दर कम होने के बावजूद यह अच्छा विकल्प बना हुआ है, जबकि आगे इसकी दरों में बढ़ोतरी की पूरी गुंजाइश दिख रही है.
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Tags: Business news in hindi, PPF, PPF account, Retirement savings
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