सस्ते में मिलेगी रेलवे की जमीन, सरकार लाएगी नई न्यू लैंड पॉलिसी

कॉनकोर में सरकार ने 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल दो सप्ताह के भीतर न्यू लैंड लाइसेंसिंग शुल्क (New Land Licensing Fee, LLF) पॉलिसी को मंजूरी दे सकती है. इसका मकसद औद्योगिक उद्देश्यों के लिए रेलवे की भूमि के उपयोग के लिए पट्टे की दरों में 3 प्रतिशत कमी लाना है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 22, 2021, 9:28 PM IST
नई दिल्ली. केंद्र सरकार दो सप्ताह के भीतर एक न्यू लैंड लाइसेंसिंग शुल्क (New Land Licensing Fee, LLF) पॉलिसी ला सकती है. इस पॉलिसी के जरिए इंडस्ट्रियल उद्देश्यों के लिए रेलवे की भूमि के उपयोग के लिए भूमि के पट्टे की दरों में 3 प्रतिशत की कमी की जाएगी.
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, LLF को मंजूरी नहीं देना कंटेनर कॉरपोरेशन (Concor) के निजीकरण में एक महत्वपूर्ण रूकावट माना जाता था. चूंकि कॉनकोर में सरकार ने 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. इसलिए सरकार कॉनकाेर को मजबूत करना चाहती है. लिहाजा, नई नीति लाने का फैसला किया गया है. नई लाइसेंसिंग नीति केवल कॉनकोर पर ही नहीं, बल्कि प्राइवेट खिलाड़ियों पर भी लागू होगी.
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पहले थी 6 प्रतिशत की दर
पिछले साल अप्रैल में भूमि के मार्केट वैल्यू से जुड़े 6 प्रतिशत के एक निश्चित शुल्क के लिए एलएलएफ प्रभार को कॉनकोर के लिए संशोधित किया था. यह 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि करने के लिए निर्धारित किया गया था. सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छह प्रतिशत की दर से एलएलएफ चार्ज करने से कॉनकोर पर वित्तीय रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए इसमें कमी लाना जरूरी है.
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कॉनकोर को रेलवे की जमीन से ज्यादा फायदे के लिए हो रही कवायद
रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबारी व्यवहार्यता को ध्यान में रखते हुए और रेलवे की जमीन पर बढ़े हुए एलएलएफ के प्रभाव को कम करने के लिए, कंपनी ने रेलवे की जमीन पर बने अपने 15 टर्मिनलों को बेचने का फैसला किया है. नए एलएलएफ को ठीक करने के बाद रेल मंत्रालय ने 13 टर्मिनलों के लिए 1,276 करोड़ रुपये का शुल्क लगाया था, जो कॉनकोर की 460 करोड़ रुपए की अपेक्षा से अधिक था.
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, LLF को मंजूरी नहीं देना कंटेनर कॉरपोरेशन (Concor) के निजीकरण में एक महत्वपूर्ण रूकावट माना जाता था. चूंकि कॉनकोर में सरकार ने 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. इसलिए सरकार कॉनकाेर को मजबूत करना चाहती है. लिहाजा, नई नीति लाने का फैसला किया गया है. नई लाइसेंसिंग नीति केवल कॉनकोर पर ही नहीं, बल्कि प्राइवेट खिलाड़ियों पर भी लागू होगी.
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पहले थी 6 प्रतिशत की दर
पिछले साल अप्रैल में भूमि के मार्केट वैल्यू से जुड़े 6 प्रतिशत के एक निश्चित शुल्क के लिए एलएलएफ प्रभार को कॉनकोर के लिए संशोधित किया था. यह 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि करने के लिए निर्धारित किया गया था. सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, छह प्रतिशत की दर से एलएलएफ चार्ज करने से कॉनकोर पर वित्तीय रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए इसमें कमी लाना जरूरी है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबारी व्यवहार्यता को ध्यान में रखते हुए और रेलवे की जमीन पर बढ़े हुए एलएलएफ के प्रभाव को कम करने के लिए, कंपनी ने रेलवे की जमीन पर बने अपने 15 टर्मिनलों को बेचने का फैसला किया है. नए एलएलएफ को ठीक करने के बाद रेल मंत्रालय ने 13 टर्मिनलों के लिए 1,276 करोड़ रुपये का शुल्क लगाया था, जो कॉनकोर की 460 करोड़ रुपए की अपेक्षा से अधिक था.