कंप्यूटर से पहली रेल टिकट दिल्ली में काटी गई थी. (फोटो- रॉयटर/न्यूज18)
नई दिल्ली. भारतीय रेलवे का सफर करीब 170 साल का हो चुका है. इस बीच बदलती तकनीक और उन्नत प्रोद्योगिकी के साथ रेलवे में भी कई बदलाव देखे गए. इसमें ट्रेन में टॉयलेट्स बनाए जाने और स्लीपर कोच लगाए जाने से लेकर अब उनकी गति बढ़ाए जाने तक का सफर शामिल है. इसी बीच आज से करीब 37 साल पहले रेलवे ने टिकट देने काटने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया. इसके बाद टिकट खिड़की पर लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें छोटी होने लगीं. लोगों को आसान तरीके और तेजी से ट्रेन टिकट मिलने लगी. टिकट प्रणाली में यह बदलाव 1986 में हुआ.
1985 में कंप्यूटर से टिकट काटने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया. 1986 में इसे पूरी तरह लागू कर दिया गया और उस साल पहली कंप्यूटरीकृत टिकट यात्री को दी गई. इसकी शुरुआत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से की गई थी. आज भारतीय रेलवे का पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) दुनिया का सबसे बड़ा पैसेंजर रिजर्वेशन नेटवर्क है. करीब 2022 जगहों पर 8074 खिड़कियों से आप रेलवे की टिकट बुक कर सकते हैं. हालांकि, अब इसमें भी तेजी से बदलाव आ रहा है और लोग ऑनलाइन टिकट बुकिंग की ओर अग्रसर हो रहे हैं.
कैसे बुक होती थी पहले टिकट
कंप्यूटर से टिकट बुक किए जाने से पहले ये सारा काम मैनुअल तरीके से होता था. टिकट काउंटर पर बैठा रेल कर्मचारी शीट पर ट्रेनों में मौजूद खाली सीट की संख्या देखता था और फिर उसके हिसाब से टिकट बुक करता था. इसमें बहुत ज्यादा समय लगता था. टिकट बुक करने के लिए लंबी लाइनें लग जाती थीं और तब यह तय नहीं होता था कि आपको कंफर्म टिकट मिल ही जाएगा. तब टिकट कार्डबोर्ड जैसे पेपर के छोटे-छोट टुकड़ों पर काटे जाते थे. हालांकि, तब भी राजधानी एक्सप्रेस की टिकट लगभग आज की टिकट जैसे ही होती थी.
घर पर डिलीवर होती थी टिकट
स्टेशन पर खिड़की से कंप्यूटरीकृत टिकट दिए जाने के प्रयोग की सफलता के लगभग 2 दशक बाद भारतीय रेलवे ने आई-टिकट (I-Ticket) की सुविधा शुरू की थी. IRCTC की वेबसाइट के माध्यम से 2002 में आई-टिकट की बुकिंग शुरू की गई. इसमें यात्री वेबसाइट पर टिकट बुक करते और फिर आईआरसीटीसी वह टिकट कुरियर के माध्यम से उन्हें घर तक भेजता था. हालांकि, कुछ ही साल बाद 2005 में ई-टिकट की बुकिंग शुरू कर दी गई और हमे आज का रिजर्वेशन सिस्टम प्राप्त हुआ.
आई-टिकट और ई-टिकट में अंतर
आई-टिकट में फिजिकल टिकट यानी कि जो टिकट काउंटर से आपको मिलती है उसे ही घर तक पहुंचाया जाता था. हालांकि, ई-टिकट में काउंटर वाली टिकट की अनिवार्यता को ही खत्म कर दिया गया. अब आप आईआरसीटीसी की वेबसाइट से टिकट बुक करने के बाद उसका प्रिंट आउट निकालकर भी ट्रेन में यात्रा कर सकते थे. हालांकि, किसी गड़बड़ी के कारण अगर ई-टिकट का सीट नंबर किसी ऐसे यात्री के सीट नंबर से क्लैश करता है जिसके पास फिजिकल टिकट है तो वह सीट उसे अलॉट कर दी जाती है.
.
Tags: Business news, Indian railway, Railway, Railway Knowledge, Train, Train ticket