नई दिल्ली. भारतीय रेलवे (Indian Railways) की ओर से जहां यात्रियों की सुविधाओं में लगातार बढ़ोतरी करने के प्रयास किए जाते हैं. वहीं, व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भी समय-समय पर अहम फैसले लिए जाते हैं. सभी जोनल रेलवे अपने स्तर पर यात्री और व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने के लिए नित नए फैसले ले रही हैं. इस दिशा में उत्तर पश्चिम रेलवे (North Western Railway) ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इस कदम से रेलवे (Railways) के लिए किसी भी आइटम्स की सप्लाई करने वाले सप्लायरों को बड़ा फायदा होगा. साथ ही व्यापार करने में और पारदर्शित आएगी.
उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्टोर विभाग की ओर से जारी किए गए सभी कॉन्ट्रेक्ट के लिये प्राप्त होने वाले बिलो की बिलिंग को 100% ऑनलाइन बिलिंग में स्विच ओवर कर दिया गया है. बताते चलें कि उत्तर पश्चिम रेलवे पर स्टॉक आइटम के लिए प्राप्त बिलों को पहले से ही ऑनलाइन प्रोसेस किया जा रहा है और अब नॉन स्टॉक आइटम्स के लिए भी ऑनलाइन बिलिंग प्रक्रिया शुरू हो गई है.
उत्तर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक विजय शर्मा का कहना है कि जोन की कार्यप्रणाली को उत्कृष्ट बनाने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिये निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं. इसी क्रम में स्टोर कॉन्ट्रेक्ट के सभी बिलों को ऑनलाइन बिलिंग में स्विच ओवर किया गया है. इस प्रणाली के प्रारम्भ होने से अब आपूर्तिकर्ता आईआरईपीएस मॉड्यूल पर अपने घर/कार्यालय से बिल जमा कर सकता है. ऑनलाइन जमा किये गये बिलों को कंप्यूटर पर ऑनलाइन ट्रैक किया जा सकता है. इस प्रणाली के प्रारम्भ हाने से आपूर्तिकर्ताओं के लिए पारदर्शिता और व्यापार करने में आसानी होगी तथा समय पर भुगतान से विक्रेता की संतुष्टि स्तर में भी बढ़ोतरी के साथ-साथ G2B संबंधों में सुधार होगा.
इसके अतिरिक्त स्टोर विभाग ने यूवीएएम (यूनिफाइड वेंडर अप्रूवल मॉड्यूल) लॉन्च किया है. अब तक वेंडर्स को मैनुअल आधार पर 7 अलग-अलग वेंडर अप्रूव करने वाली एजेंसियों को आवेदन करना होता है जो कि कठिन और बोझिल प्रक्रिया थी. विक्रेताओं को इन समस्याओं के समाधान के लिए स्टोर विभाग ने ऑनलाइन यूवीएएम पोर्टल की शुरूआत की है.
सभी वेंडर जो रेलवे में आईसीएफ, एमसीएफ, आरडीएसओ जैसी किसी भी वेंडर को मंजूरी देने वाली एजेंसी का अनुमोदन प्राप्त करना चाहते हैं, इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं तथा पोर्टल के माध्यम से आवेदनों की स्थिति ऑनलाइन जांच सकते हैं. मंजूरी देने वाली ईकाई द्वारा वेण्डर से वांछित जानकारी भी ऑनलाइन मांगी जा सकती है.
विक्रेता आवश्यक जानकारी ऑनलाइन ही जमा कर सकते हैं. इस प्रणाली में वेंडर को मंजूरी देने वाली एजेंसी को आवेदन की तारीख से 6 महीने के भीतर आवेदन का निपटान करना होगा. यह पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे रेलवे में विक्रेताओं की संख्या बढे़गी जिससे प्रतिस्पर्धा और राजस्व बचत बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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