नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) ने ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंकों (Rural Cooperative Banks) को अपने ऑपरेशनल एरिया के लोगों या मौजूदा शेयरधारकों से विभिन्न इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए फंड जुटाने की अनुमति दे दी है.
आरबीआई ने मंगलवार को एक नोटिफिकेशन में कहा कि आरसीबी, जिसमें राज्य को-ऑपरेटिव बैंक और जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक शामिल हैं, अब प्रेफरेंस शेयर और डेट इंस्ट्रूमेंट से फंड जुटा सकते हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा कि संशोधित बैंकिंग रेगुलेशंस एक्ट के दायरे में ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंकों के आने के बाद उनकी समीक्षा की जा रही है.
आरबीआई के अनुसार, ग्रामीण को-ऑपरेटिव बैंक डेट इंस्ट्रूमेंट के जरिए भी फंड जुटा सकते हैं, जिसमें टियर-1 की कैपिटल में शामिल करने के लिए पात्र पर्पेचूअल डेट इंस्ट्रूमेंट और टियर-2 की कैपिटल में शामिल करने के लिए पात्र लॉन्ग टर्म सबऑर्डिनेटेड बांड की जरुरत होगी.
क्या होता है प्रेफरेंस शेयर
यह इक्विटी शेयरों का एक प्रकार है. प्रेफरेंस शेयर में सामान्य इक्विटी शेयरों से अलग वोटिंग राइट्स होता है. सामान्य शेयरों के विपरीत प्रेफरेंस शेयर में डिविडेंड की दर पहले से तय हो सकती है.
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FPI के लिए सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश की सीमा में कोई बदलाव नहीं
वहीं, आरबीआई ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए सरकारी सिक्योरिटीज (g-secs), स्टेट डेवलपमेंट लोन और कॉरपोरेट बांड में निवेश की सीमा को अपरिवर्तित रखा है. आरबीआई ने मंगलवार को जारी एक नोटिफिकेशन में कहा कि चालू वित्त वर्ष में बची हुई सरकारी सिक्योरिटीज में एफपीआई के लिए निवेश की सीमा 6 फीसदी ही बनी रहेगी. वहीं स्टेट डेवलपमेंट लोन और कॉरपोरेट बांड के लिए यह सीमा पहले की तरह क्रमशः 2 फीसदी और 15 फीसदी होगी.
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