भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दिसंबर महीने की बुलेटिन जारी की है. RBI के मासिक बुलेटिन ने 20 दिसंबर को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2023 में दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने मॉनिटरी पॉलिसी में कड़ा रूख अपनाते हुए जिस प्रकार कर्ज महंगा किया उसका खामियाजा भुगतेगी. अपने नवीनतम मासिक बुलेटिन में, RBI ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी आउटलुक में जोखिम बरकरार है. उभरती बाजार अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि और उच्च मुद्रास्फीति के अलावा मुद्रा मूल्यह्रास के कारण और भी कमजोर दिखाई दे रही है.
आरबीआई बुलेटिन एक मासिक प्रकाशन है जो भारत और विदेश दोनों में आर्थिक विकास की जानकारी देता है. बुलेटिन के अनुसार, डिफ़ॉल्ट दरों में वृद्धि और अमेरिकी डॉलर की सराहना के साथ ऋण संकट बढ़ रहा है.
2024 में अधिकांश देशों में हल्की रिकवरी होने का अनुमान
आरबीआई के मुताबिक करेंसी में गिरावट, पूंजी के देश से बाहर जाने के साथ आर्थिक विकास दर में गिरावट और महंगाई का बड़ा खामियाजा उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को उठाना पड़ सकता है क्योंकि वे सबसे ज्यादा संवेदनशील रहने वाले हैं. बुलेटिन में कहा गया है कि आगे देखते हुए, 2024 में अधिकांश देशों में हल्की रिकवरी होने का अनुमान है.
बुलेटिन में कहा गया कि एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाएं दुनिया के विकास का इंजन बनेगी और सामूहिक रूप से 2023 में वैश्विक विकास के करीब तीन-चौथाई और 2024 में लगभग तीन-पांचवां हिस्सा एशिया की उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का रहने वाला है. 7 दिसंबर को, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति में मामूली गिरावट के जवाब में रेपो दर में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी की.
मुद्रास्फीति में गिरावट संकेत है कि अर्थव्यवस्था की लचीलापन और विकास नींव में सुधार हो रहा है. यह लगातार तीन नीतिगत दरों में 50-50 आधार अंकों की वृद्धि के बाद आया है. बुलेटिन में कहा गया है कि यदि समाधान में निर्धारित अनुमानों को कायम रखा जाता है, तो शायद भारत अपने मूल्य स्थिरता उद्देश्य में पहला मील का पत्थर हासिल करने के लिए तैयार है. 2022-23 में मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. जोखिम समान रूप से संतुलित हैं.
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