नई दिल्ली. महंगाई की तपिश अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के फैसलों को भी झुलसाने लगी है. रूस-यूक्रेन युद्ध ( Russia-Ukraine War) के बीच महंगाई का दबाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आरबीआई भी अगले महीने अपनी ब्याज दरें (Repo Rate) बढ़ाने को मजबूर हो सकता है.
इकोनॉमिक एडवाइजरी फर्म के सीनियर एनालिस्ट अनंत नारायण का कहना है कि RBI ने वैसे तो 2022-23 के लिए खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए पक्का है कि इस साल खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर रहने वाली है. इतना ही नहीं यह जनवरी में ही RBI के तय 6 फीसदी के दायरे से बाहर निकल चुकी है.
अगले महीने महंगा हो सकता है लोन
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि RBI पर भी महंगाई का इतना ज्यादा बोझ बढ़ चुका है कि अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में रेपो रेट बढ़ा सकता है. RBI ने पिछले करीब दो साल इसकी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जो फिलहाल 22 साल के निचले स्तर पर चल रहीं हैं. अगर Repo Rate में इजाफा होता है, तो आपके लोन की ईएमआई (EMI) भी निश्चित तौर पर बढ़ जाएगी.
दोहरी चुनौती से जूझ रहा रिजर्व बैंक
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई का सबसे बड़ा कारण क्रूड हो सकता है, लेकिन यह अकेला नहीं है. खाने के तेल और कमोडिटी में धातुओं की बढ़ती कीमत भी महंगाई को लगातार भड़का रही है.
कच्चे तेल के क्या मायने…
एसबीआई ( State Bank of India) की इकनॉमिस्ट सौम्य कांति घोष का कहना है कि पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की कीमतों में 10 तक इजाफा होने से खुदरा महंगाई दर 50-60 आधार अंक बढ़ जाएगी. चूंकि, क्रूड के दाम पिछले साल से दोगुने से भी ज्यादा बढ़ चुके हैं तो अब ईंधन महंगा जरूर होगा. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जिसका बोझ महंगाई के रूप में सामने आना तय है.
खाने का तेल भी भड़का रहा महंगाई
RBI के सामने खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई दर थामने की बड़ी चुनौती है. रूस और यूक्रेन से सप्लाई पर असर पड़ने की वजह से सूरजमुखी के तेल 25 रुपये प्रति लीटर तक महंगे हो चुके हैं. पॉम की भी मांग बढ़ रही जिससे ग्लोबल मार्केट में रेट रिकॉर्ड स्तर पर चले गए. चूंकि, यहां भी भारत अपनी 60 फीसदी जरूरत आयात से पूरी करता है तो इस पर भी ग्लोबल कीमतों का असर पड़ना तय है. स्पष्ट है कि इससे महंगाई दर और बढ़ेगी जबकि रिजर्व बैंक को भी रेपो रेट बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा.
धातु और जरूरी चीजों के लगातार बढ़ते दाम
ग्लोबल मार्केट में कमोडिटीज के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं. सोमवार को ही लंदन एक्सचेंज पर एल्युमीनियम का वायदा भाव 10 फीसदी बढ़कर 242 डॉलर प्रति टन, जबकि निकल का 12.5 फीसदी बढ़कर 2,250 डॉलर प्रति टन पहुंच गया था. इसका असर रियल एस्टेट व अन्य इन्फ्रा प्रोजेक्ट पर दिखेगा. इसके अलावा दूध जैसे जरूरी उत्पाद के दाम भी 2 रुपये लीटर बढ़ चुके हैं.
गवर्नर भी दे चुके हैं संकेत
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) ने पिछले शुक्रवार को कहा था, ‘हम विकास दर (Growth Rate) और महंगाई (Inflation) को देखते हुए ही आगे की रणनीति बनाएंगे.’ महंगे क्रूड से विकास दर भी 0.60 फीसदी सुस्त पड़ने का अनुमान है. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि अगले महीने नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा किया जा सकता है.
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