नई दिल्ली. कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की बढ़ती रिकॉर्डतोड़ संख्या के बीच आम आदमी के सिर पर एक और मुसीबत खड़ी हो गई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2021 के दौरान खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) में बढ़ोतरी दर्ज की गई है और ये 5.52 फीसदी पर पहुंच गई है. इससे पिछले महीने यानी फरवरी 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.03 फीसदी पर थी. आसान शब्दों में समझें तो पहले से ही महंगे रसाई गैस सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल समेत रोजमर्रा की चीजों में महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वहीं, फरवरी 2021 में औद्योगिक उत्पादन (Industrial Production) घटकर 3.6 फीसदी रह गया है.
इंडियन इकोनॉमी पर पड़ी है दोहरी मार
भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना संकट के बीच खुदरा महंगाई बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन घटने की दोहरी मार पड़ी है. फरवरी 2021 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में पिछले साल के मुकाबले 3.6 फीसदी की कम दर्ज की गई है. इसमें खनन क्षेत्र में 5.5 फीसदी, निर्माण क्षेत्र में 3.7 फीसदी, कैपिटल गुड्स सेक्टर में 4.2 फीसदी, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 4.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा प्राइमरी गुड्स सेक्टर में 5.1 फीसदी, इंटरमीडिएट गुड्स सेक्टर में 5.6 फीसदी और कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल सेक्टर में 3.8 फीसदी कमी आई है.
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रोजमर्रा इस्तेमाल वाली इन चीजों के बढ़े दाम
फरवरी में पूरे देश का औसत खाद्य महंगाई दर 3.87 फीसदी थी, जो मार्च में बढ़कर 4.94 फीसदी हो गई. खाद्य महंगाई दर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी घी-तेल, मांस और मछली के दामों में तेजी के कारण हुई है. मार्च में घी-तेल की कीमतों में 24.92 फीसदी और मांस-मछली के दामों में 15.09 फीसदी बढ़ोतरी हुई. इसी दौरान दालों के दाम में 13.25 फीसदी, अंडों में 10.60 फीसदी और फलों की कीमतों में 7.86 फीसदी की वृद्धि हुई. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) और सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक महंगाई के बढ़ने की रफ्तार गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा रही है.
गांवों में तेजी से बढ़ते दाम तो औसत होता ज्यादा
मार्च में खाद्य महंगाई दर शहरी इलाकों में 6.64 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 3.94 फीसदी रही. बाकी चीजों के दाम भी शहरों में 6.52 फीसदी और गांवों में 4.61 फीसदी की रफ्तार से बढ़े. इन आंकड़ों से साफ है कि अगर गांवों में महंगाई दर अपेक्षाकृत कम न रहती तो औसत आंकड़ा ज्यादा रहता. मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन शुरू होने के बाद कई महीने तक महंगाई की दर आरबीआई के 6 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर ही रही. अक्टूबर में तो खुदरा महंगाई के बढ़ने की रफ्तार 7.61 फीसदी तक जा पहुंच गई थी. दिसंबर 2020 में पूरे 8 महीने बाद कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स घटकर 4.59 फीसदी के दायरे में आ पाया था. जनवरी 2021 में यह और घटकर 4.1 फीसदी पर आया. फरवरी में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी का सिलसिला फिर शुरू हो गया और यह 5 फीसदी को पार कर गई.
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रिजर्व बैंक के तय दायरे में है महंगाई दर
फरवरी 2021 के दौरान तमाम सेक्टर में गिरावट के बीच कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर में 6.3 फीसदी और इलेक्ट्रिसिटी कंजम्प्शन में 0.1 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. यह लगातार चौथा महीना है, जब खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से तय की गई सीमा के भीतर ही है. आरबीआई ने अगले 5 साल के लिए खुदरा महंगाई 4 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया है. जनवरी में खुदरा महंगाई दर 4.06 फीसदी रही थी, जो अक्टूबर 2019 के बाद सबसे निचला स्तर था. वहीं, फरवरी 2021 में खुदरा महंगाई दर 5.03 फीसदी और जनवरी में 4.06 फीसदी रही थी.undefined
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Tags: Business news in hindi, Fuel price hike, Inflation, Modi government
FIRST PUBLISHED : April 12, 2021, 18:28 IST