नई दिल्ली. यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों का प्रतिबंध झेल रहे रूस ने एक बार फिर अपने पुराने दोस्त (भारत) का पकड़ा है. संकट के इस समय में रूस ने अपना कच्चा तेल भारत को बेचना शुरू किया तो यह सिलसिला नए रिकॉर्ड की तरफ बढ़ चला है. अनुमान है कि रूस जल्द ही इराक-सऊदी अरब को पीछे छोड़ भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन जाएगा.
मनीकंट्रोल ने ब्लूमबर्ग के हवाले से बताया कि रूस ने भारत को बेहद कम कीमत पर (30 डॉलर प्रति बैरल) अपना कच्चा तेल खरीदने का प्रस्ताव दिया था जिसे भारतीय तेल कंपनियों ने दोनों हाथों लपक लिया. क्रूड ऑयल के दुनिया के तीसरे सबसे बड़े आयातक देश भारत को इस समय रूस प्रतिदिन करीब 12 लाख बैरल तेल की सप्लाई कर रहा है. यह इराक और सऊदी अरब से आयात होने वाले क्रूड के लगभग बराबर है.
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फरवरी तक भारत को आयात होने वाले रूसी तेल की हिस्सेदारी न के बराबर थी, जो जून तक 50 गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है. भारतीय रिफाइनरी कंपनियां सस्ता तेल पाकर अपना भंडार भरने में लगी हैं. जून में रूस ने प्रतिदिन 12 लाख बैरल क्रूड की सप्लाई की जबकि इस दौरान इराक से प्रतिदिन 10 लाख बैरल और सऊदी अरब से 6.62 लाख बैरल कच्चा तेल आया.
यूरोप के इनकार से बदली तस्वीर
यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद यूरोपीय देशों ने रूस से क्रूड खरीदना बंद कर दिया, जिससे रूस की फंडिंग रुक जाए. अब भारत के आगे आने से रूस की प्रतिदिन की डिलीवरी 11.6 लाख बैरल तक पहुंच सकती है, जो इराक के 11.3 लाख बैरल से ज्यादा होगी. इस महीने भी रूस ने रोजाना 9.88 लाख बैरल तेल ग्लोबल मार्केट में भेजा, जो इराक के 10.03 बैरल से कुछ ही कम है.
भारत ने मुश्किल समय में रूस के क्रूड को खरीदकर उसकी फंडिंग बरकरार रखी जिसका इस्तेमाल वह युद्ध में कर रहा है. हालांकि, इस दौरान अमेरिका ने कई बार भारत को यह डील रोकने की चेतावनी दी, लेकिन सरकार मजबूत इरादों और राष्ट्रहित को देखते हुए रूसी तेल खरीदने की डील जारी है.
इराक, सऊदी से 5 लाख बैरल खरीद घटी
रूस जैसे-जैसे भारत को अपनी सप्लाई बढ़ा रहा है, हमारे पारंपरिक सप्लायर इराक और सऊदी अरब की हिस्सेदारी घटती जा रही है. अप्रैल से अब तक दोनों देशों की क्रूड सप्लाई में करीब 5 लाख बैरल की गिरावट आ चुकी है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पिछले दिनों कहा था कि जब कीमतें ऊपर जा रही हों और आपके पास कोई विकल्प न हो तो जहां से भी मिले सस्ता तेल खरीदना चाहिए. हम भारत के हितों को अच्छी तरह समझते हैं.
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