मुंबई. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) समेत अन्य उधारकर्ता होम लोन रिस्ट्रक्चरिंग के लिए विकल्पों की तलाश में है ताकि रिपेमेंट शेड्यूल में राहत देने के बाद भी लोन की कुल अवधि में 2 साल से ज्यादा की वृद्धि न हो. इसमें उन ग्राहकों के लिए EMI में मोहलत देने का भी एक विकल्प है, जिनकी इनकम मौजूदा संकट के बीच बिल्कुल बंद हो गई है या पर्याप्त नहीं है. बैंकों के पास एक विकल्प यह भी है कि वो कुछ सालों तक EMI की रकम कम कर दें ताकि इस समय होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके. अगस्त की शुरुआत में ही भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास जारी रखते हुए पर्सनल लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) की सुविधा की छूट देने का ऐलान किया था. RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि एक बार रिस्ट्रक्चर करने के बाद, ऐसे लोन को स्टैंडर्ड माना जाएगा. इसका मतलब है कि अगर उधारकर्ता नए पेमेंट स्ट्रक्चर का पालन करता है तो डिफॉल्टर के रूप में उधारकर्ता को क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट नहीं किया जाएगा.
रिटेल और होम लोन के लिए बैंक ही लाएंगे प्रस्ताव
अंग्रेजी अख़बार
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केवी कामथ कमेटी (K V Kamath Committee) रिटेल और होम लोन रिस्ट्रक्चरिंग को नहीं देखेगी. इसके लिए बैंक ही अपना प्रस्ताव लाएंगे, जिसे उन्हें अपने बोर्ड के समक्ष पेश करना होगा. अगले महीने की शुरुआत तक इन प्रस्तावों को जमा कर देना होगा. मौजूदा कर्ज को लेकर बैंकों को डर है कि ये गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) में तब्दील न हों जाएं. यही कारण है कि बैंक लोन रिस्ट्रक्चरिंग में रुचि दिखा रहे हैं.
बैंकों का यह भी कहना है कि यह उचित समय भी नहीं है कि सिक्योरिटी लागू कर संपत्ति जब्त की जाए. RBI ने बैंकों को 2 साल तक अवधि बढ़ाने की अनुमति दी है. बैंकर्स का कहना है कि वो 2 साल तक मोरेटोरियम की सुविधा नहीं दे सकते हैं.
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बैंकों के लिए ब्याज दर का भी पेच
अगर किसी ने 15 साल का लोन लिया है और इस पर 6 महीने के मोरेटोरियम का लाभ भी मिला है तो उनके लोन की कुल अवधि पहले ही 14 महीने के लिए बढ़ गई है. वास्तविक छूट इस बात पर निर्भर करेगी कि लेनदार आखिर किस दर से ब्याज दे रहा है. वर्तमान में होम लोन पर ब्याज दर घटकर 7 फीसदी तक आ चुकी है. ऐसे में बैंकों का कहना कि रिस्ट्रक्चर्ड लोन पर वो अपनी न्यूनतम ब्याज दर लागू नहीं कर सकेंगे, क्योंकि इस पर उन्हें 10 फीसदी की अतिरिक्त प्रोविजनिंग करनी होगी. इससे 30 बेसिस प्वाइंट यानी 0.30 फीसदी तक कॉस्ट बढ़ जाएगा.
लोन मोरेटोरियम और लोन रिस्ट्रक्चरिंग में अंतर
RBI ने लोन मोरेटोरियम के तहत किस्तें न चुकाने की छूट दी थी. इस दौरान जो भी ब्याज बनता, वह बैंक आपके मूल धन में जोड़ देते हैं. जब EMI शुरू होगी तो आपको पूरी बकाया राशि पर ब्याज चुकाना होगा. यानी मोरेटोरियम अवधि के ब्याज पर भी ब्याज लगेगा. लोन का रिस्ट्रक्चरिंग में बैंक तय कर सकेंगे कि ईएमआई को घटाना है या लोन का पीरियड बढ़ाना है, सिर्फ ब्याज वसूलना है, या ब्याज दर एडजस्ट करना है.
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सितंबर तक आएगी कामथ कमेटी की रिपोर्ट
कामथ कमेटी सितंबर महीने के मध्य तक अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है. बैंकर्स को उम्मीद है कि इस कमेटी में रिस्ट्रक्चरिंग के लिए कई प्रकार के मापंदड हों. जैसे- डेट-इक्विटी अनुपात (Debt-Equity Ratio) है. हॉस्पिटेबिलिटी, एविएशन, रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए यह एक जायज मापदंड होगा. कमेटी यह भी तय करेगी किन परिस्थितियों के अंतर्गत डेट-इक्विटी अनुपात को बदला जा सकेगा. इसके अतिरिक्त, हर उस कॉरपोरेट लोन को कमेटी द्वारा रिव्यू किया जाएगा, जिसकी रकम 1,500 करोड़ रुपये से अधिक है.undefined
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Tags: Business news in hindi, Home loan EMI, RBI, Taking a home loan
FIRST PUBLISHED : August 17, 2020, 16:23 IST