सेबी
मुंबई. देश के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए कंपनियों के प्रमोटर को राहत दी है. रेगुलेटर ने किसी कंपनी की शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद उसके प्रमोटर्स के इनवेस्टमेंट का मिनिमम लॉक-इन पीरियड घटाकर 18 महीना कर दिया है. पहले यह तीन साल का था.
साथ ही सेबी ने प्रमोटर से नियंत्रणकारी हिस्सेदार (Controlling Shareholders) की धारणा को अपनाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक के बाद सेबी ने एक बयान में कहा कि ग्रुप की कंपनियों के लिए खुलासा नियमों को दुरुस्त करने का भी निर्णय किया गया है.
Securities & Exchange Board of India (SEBI) approves relaxation of lock-in requirement. Lock-in of promoters’ shareholding shall be for 18 months from the allotment in IPO/FPO, which was 3 years earlier. pic.twitter.com/hYCR5m7MiX
— ANI (@ANI) August 6, 2021
सेबी ने लॉक-इन पीरियड के बारे में कहा कि यदि आईपीओ के उद्देश्य में किसी परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) के अलावा अन्य बिक्री पेशकश या वित्तपोषण का प्रस्ताव शामिल है, तो आईपीओ और एफपीओ में आबंटन की तारीख से प्रमोटर्स का न्यूनतम 20 फीसदी का योगदान 18 महीने के लिए लॉक किया जाना चाहिए.
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सेबी के अनुसार इसके अलावा, इन सभी मामलों में, प्रमोटर की न्यूनतम योगदान से ऊपर की हिस्सेदारी मौजूदा एक वर्ष के बजाय छह महीने के लिए अवरूद्ध हो जाएगी. सेबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने एक सहज, प्रगतिशील और समग्र तरीके से प्रमोटर की अवधारणा से ‘नियंत्रणकारी शेयरधारक’ को अपनाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की.
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