जीएसटी सिस्टम लागू होने पर राज्यों को होने वाले रेवेन्यू नुकसान की भरपाई के लिए जून 2022 तक क्षतिपूर्ति व्यवस्था लागू की गई है.
नई दिल्ली. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में 1 जनवरी 2022 से कई बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. नए साल में आपकी जेब (Pocket) पर यह बदलाव भारी पड़ने जा रहा है. इन बदलावों में खासकर ई-कॉमर्स ऑपरेटरों (E-Commerce Operators) पर पैसेंजर ट्रांसपोर्ट या रेस्त्रां सर्विसेज के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर टैक्स (Tax) का भुगतान करने का दायित्व शामिल है. इसके साथ ही फुटवेयर और टैक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार नए साल में शुरू हो जाएगा. इस शुरुआत के साथ ही फुटवेयर पर 12 प्रतिशत जीएसटी भी लगने लगेगा.
फुटवेयर पर 12 प्रतिशत टैक्स लगने का मतलब है कि आप जो जूता या चप्पल 100 रुपये में खरीदते थे वह नए साल से 112 रुपये में मिलने लगेगा. फिलहाल फुटवेयर पर 5 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है. इसी तरह रेडीमेड कपड़ों समेत सभी टेक्साइटल प्रोडक्ट्स (कॉटन को छोड़कर) पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी लगना शुरू हो जाएगा. इसके अलावा ऑटो रिक्शा चालकों को मैनुअल मोड या ऑफलाइन तरीके से दी जाने वाली पैसें ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर छूट मिलती रहेंगी, लेकिन जब ये सर्विसेज किसी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से दी जाएंगी तो इन पर नए साल से 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.
जीएसटी दरों में होने जा रहा है बड़ा बदलाव
सोसायटी में रहने वालों के लिए मेंबर-फी का नियम भी बदलने जा रहा है. क्लब और एसोसिएशन के मेंबर जो फीस देते हैं. अब उस पर उन्हें जीएसटी भी देना पड़ेगा. यह वसूली 1 जुलाई 2017 की तारीख से की जाएगी. सरकार इसके लिए नया नियम लाने जा रही है.
खाने के सामान भी हो जाएंगे महंगे
नए बदलाव के बाद फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स सर्विस प्रोवाइडर्स का यह उत्तरदायित्व होगा कि उनके द्वारा दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज के बदले वे जीएसटी कलेक्ट करें और उसे सरकार के पास जमा करवाएं. ऐसी सर्विसेज के बदले उन्हें बिल भी जारी करने होंगे. इससे ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा क्योंकि रेस्टोरेंट पहले से ही जीएसटी रेवेन्यू कलेक्ट कर रहे हैं. बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि टैक्स जमा करवाना और बिल जारी करने की जिम्मेदारी अब फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों पर आ गई है.
सरकार ने क्यों उठाया है यह कदम
यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि सरकार का ऐसा अनुमान है कि फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों द्वारा कथित तौर पर पूरी जानकारी नहीं देने से बीते दो साल में सरकारी खजाने को नुकसान उठाना पड़ा है और इन प्लेटफार्मों को जीएसटी जमा करवाने के लिए उत्तरदायी बनाने से टैक्स चोरी पर रोक लगेगी.
किस तरह अब टैक्स चोरी पर लगेगी रोक
नए बदलाव के बाद फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स सर्विस प्रोवाइडर्स का यह उत्तरदायित्व होगा कि उनके द्वारा दी जाने वाली रेस्टोरेंट सर्विसेज के बदले वे जीएसटी कलेक्ट करें और उसे सरकार के पास जमा करवाएं. ऐसी सर्विसेज के बदले उन्हें बिल भी जारी करने होंगे. इससे ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा क्योंकि रेस्टोरेंट पहले से ही जीएसटी रेवेन्यू कलेक्ट कर रहे हैं. बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि टैक्स जमा करवाना और बिल जारी करने की जिम्मेदारी अब फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों पर आ गई है.
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इसके पीछे तर्क दे रही है कि इससे टैक्स चोरी नहीं हो सकेगा. टैक्स चोरी रोकने के लिए ही नए साल में ये सारे कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार ने जीएसटी रिफंड पाने के लिए आधार ऑथेंटिकेशन अनिवार्य करना, जिन व्यवसायों ने टैक्स अदा नहीं किए हैं उनकी जीएसटीआर-1 फाइलिंग सुविधा पर रोक लगाना आदि शामिल किया है.
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