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Short Selling क्या होती है, कैसे शेयर के गिरने पर भी मुनाफा बनाया जाता है, चूके तो घाटे से बचना नामुमकिन

Short Selling में शेयरों की गिरावट पर खेला जाता है दांव. (Shutterstock)

Short Selling में शेयरों की गिरावट पर खेला जाता है दांव. (Shutterstock)

Short Selling: जब कोई निवेशक किसी शेयर के टूटने पर दांव खेलता है तो इसे शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है. इस तरह के ट्रेड को एक ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

हाल ही में हिंडनबर्ग नामक एक रिसर्च कंपनी का नाम सामने आया है.
इसकी वहज से शॉर्ट सेलिंग एक बार फिर चर्चा में नजर आ रहा है.
हिंडनबर्ग अक्सर लिस्टेड कंपनियों पर शॉर्ट पोजिशन लेकर रखती है.

नई दिल्ली. बाजार में निवेश करने पर निवेशक दो तरह की पोजिशन लेते हैं. पहली होती है लॉन्ग पोजिशन. इसमें शेयरधारक शेयरों के बढ़ने पर दांव लगाता है. यानी शेयर ऊपर जाएंगे तो उसे मुनाफा होगा. दूसरी होती है शॉर्ट पोजिशन. यहां शेयरों के गिरने पर पैसा लगाया जाता है. शॉर्ट पोजिशन लेकर शेयरों को बेचने को शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है. जाहिर तौर पर इससे मन में एक सवाल उठता है कि आखिर शेयर के गिरने पर कैसे पैसा बनाया जा सकता है. बेशक बनाया जा सकता है, लेकिन ये थोड़ा जोखिम भरा काम होता है.

निवेशक कभी अपने पास पहले से मौजूद शेयरों को प्रभावी तौर पर शॉर्ट नहीं कर सकते हैं. इसके लिए आपको ब्रोकर से शेयर उधार लेने होते हैं और दिन का कारोबार खत्म होने तक इसको सेटल भी कर दिया जाता है. आप जिस शेयर को शॉर्ट कर रहे हैं वह आपके खाते में नहीं दिखता है, क्योंकि वह शेयर आपके पास है ही नहीं. अब नया सवाल कि आखिर जो चीज आपके पास है ही नहीं उससे आप ट्रेड कैसे कर सकते हैं. इसका जवाब है कि सरकार और सेबी इसकी अनुमति देते हैं, इसलिए कर सकते हैं. हालांकि, कई देशों में यह गैर-कानूनी है.

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इसे ऐसे समझें
मान लीजिए कोई शेयर 500 रुपये का और आपको पता है कि वह शेयर आज टूटकर 450 रुपये तक आ जाएगा. आप अपने ब्रोकर से कहकर 10 शेयर बाजार में बेच देंगे. इस तरह से आपके डीमेट खाते में ये शेयर तो नहीं दिखेंगे लेकिन -5000 रुपये नजर आने लगेंगे, क्योंकि आपने वह चीज बेची जो आपके पास थी ही नहीं. अब जैसे ही ये शेयर 450 रुपये पर पहुंचा आपने उसे ब्रोकर के जरिए वापस खरीद लिया. वापस खरीदते समय आपको केवल 4500 रुपये में ही 10 शेयर मिल गए यानी आपको 500 रुपये का मुनाफा हुआ जो अब आपके खाते में -5000 की जगह दिखने लगेगा. हालांकि, इसमें से कुछ हिस्सा ब्रोकरेज भी लेगा. वह अलग-अलग ब्रोकेरज पर निर्भर करता है.

रिस्क क्या है?
इसमें जोखिम ये है कि अगर आपका अनुमान गलत हो गया और शेयर की कीमत 450 पर जाने की 550 हो गई तो आप घाटे में जाएंगे. यहां आपको हर हाल में उसी दिन डील पूरी करनी होगी. आमतौर पर आप जब शेयर मार्केट में घाटे पर जाते हैं तो आप इंतजार करते हैं कि शेयर जैसे ही ऊपर आएगा बेचकर मुनाफा बना लेंगे. इसमें कुछ दिन या हफ्तों का समय लग सकता है. शॉर्ट सेलिंग में ऐसा नहीं होता है. ये डील आपको उसी दिन पूरी करनी होती है. अगर आपका अनुमान गलत हुआ तो आप निश्चित तौर पर उस दिन घाटे में जाएंगे. अगर आप शेयर वापस नहीं खरीदते तो ब्रोकर दोपहर 3.15 या 3.20 तक ये शेयर आपके नाम पर खरीद लेगा. अगर शेयर बॉटम सर्किट हिट करता है तो मार्केट क्लोजिंग के बाद जो समय केवल ब्रोकरों को ट्रेडिंग के लिए मिलता है उसमें वह आपके नाम पर शेयर खरीद लेगा. यानी कुल मिलाकर आपको घाटा उठाना ही पड़ेगा.

अभी चर्चा में क्यों?
हिंडनबर्ग नाम की एक अमेरिकी रिसर्च कंपनी ने भारत में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित तौर पर शॉर्ट पोजिशन ले रखी है. इसी कंपनी की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई है और उनका मार्केट कैप कई लाख करोड़ रुपये पीछे चला गया है. हिंडनबर्ग पहले भी इस तरह के कारनामे कर चुकी है. ये कंपनियों के बारे में ऐसी जानकारियां सामने लाती है जिससे उसकी साख को हानि पहुंचे और फिर उसके शेयर नीचे जाएं. शॉर्ट पोजिशन लिए रहने के कारण हिंडनबर्ग इससे मुनाफा कमाती है.

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