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क्यों गुपचुप तरीके से कर्मचारियों को दिया जाता है अल्टीमेटम, कंपनी में ढूंढें कोई दूसरा काम, वरना...

साइलेंट ले-ऑफ में कंपनियां कर्मचारी को एक झटके में बाहर नहीं करती. (Shutterstock)

साइलेंट ले-ऑफ में कंपनियां कर्मचारी को एक झटके में बाहर नहीं करती. (Shutterstock)

Silent layoff के दौरान कंपनियां नहीं चाहती कि इसके बारे में किसी को पता चले. वह अपनी छवि को ठीक बनाए रखने के लिए गुपचुप ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

साइलेंट ले-ऑफ अक्सर कर्मचारियों को निकालने के समय होता है.
ऐसा करने से कंपनी नेगेटिव पब्लिसिटी से बच जाती है.
गूगल और मेटा जैसी कंपनियों में पहले से ये पॉलिसी लागू है.

नई दिल्ली. देश-दुनिया में छंटनियों का दौर जारी है. बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां धड़ल्ले से अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट इसके हालिया उदाहरण हैं. इन तीनों कंपनियों ने मिलकर 30,000 से ज्यादा लोगों को नौकरी से निकाल दिया है. हालांकि, इसके अलावा भी कई छंटनियां हो रही हैं जिनके बारे में बहुत शोर नहीं मच रहा है. इन्हें साइलेंट ले-ऑफ कहा जाता है.

गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने खुले तौर छंटनियों का ऐलान किया और ये बताया कि उनकी आगे की योजना क्या है. इसके उलट कई कंपनियां गुपचुप तरीके से लोगों को बाहर करने का फैसला कर लेती हैं. ऐसा करना का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि वह कंपनी अपने नाम पर किसी तरह का दुष्प्रचार नहीं चाहती है. साथ ही कई बार निकाले जाने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी कम होती है इसलिए भी इसकी घोषणा नहीं की जाती है. हालांकि, प्रमुख वजह कंपनी का नाम खराब होने से बचाना ही होती है.

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कैसे होता है साइलेंट ले-ऑफ
इस तरह की छंटनी में कंपनी सीधे कर्मचारियों को ई-मेल या फोन कर छंटनी की सूचना नहीं देती. इसे पहले रीस्ट्रक्चरिंग का नाम दिया जाता है. इसमें कंपनी अपने कर्मचारी से कहती है कि आप किसी और विभाग में अपने लिए कोई काम तलाशिए जिसे आप अच्छे से कर पाएंगे. इसके लिए कर्मचारी को अमूमन एक महीने का समय दिया जाता है. अगर कर्मचारी इस दौरान काम ढूंढने में सफल रहा तो ठीक वरना उन्हें बाहर कर दिया जाता है. मजे की बात है कि मेटा और गूगल जैसी टेक कंपनियों में ये पॉलिसी लागू है. उसके बावजूद वहां बड़े स्तर पर छंटनी को अंजाम दिया गया.

इस साल की छंटनियां
टेक के क्षेत्र में इस साल के पहले महीने में ही गूगल ने 12,000, मेटा ने 11,000, माइक्रोसॉफ और अमेजन ने 10,000-10,000 लोगों को बाहर कर दिया. इसके अलावा सेल्सफोर्स ने 8,000 और बुकिंग.कॉम ने 4,375 लोगों की छंटनी की. अभी हाल ही में डेल ने 6500 लोगों को निकालने की घोषणा की है. भारत में भी इस साल कई कंपनियों ने छंटनियां की. बायजू ने जनवरी में 2500 और फरवरी में 1500 लोगों को बार निकाल दिया. वहीं, एक टेस्ट पास नहीं कर पाने के कारण इन्फोसिस ने 600 ट्रेनी को कंपनी से निकाल दिया.

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