10,000 रुपये लिए उधार, जगह नहीं मिली तो घर पर छप्पर डालकर किया काम, अब 4 फैक्ट्री और 4000 करोड़ के मालिक
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किसी जमाने में यह दिग्गज कारोबारी सिनेमा हॉल में सीटों की मरम्मत और स्नेक्स बेचा करता था. लेकिन, कुछ बड़ा करने के लिए चंदू भाई ने रिस्क लिया और खुद की कंपनी शुरू की. अब वे अपने काम से देशभर में पहचान बना चुके हैं.
बालाजी वेफर्स के मालिक चंदू भाई वीरानीSuccess Story: भारत में कुछ बिजनेसमैन जो शिखर पर हैं उनकी इस सफलता और शोहरत के पीछे कड़ा संघर्ष छिपा है. चंदू भाई वीरानी भी उन्हीं लोगों में से एक हैं. उन्होंने कई परेशानियों का सामना किया और आज एक बेहद आला मकाम पर हैं. चंदू भाई का शुरुआती संघर्ष बिल्कुल फिल्मी रहा. किसी जमाने में यह दिग्गज कारोबारी सिनेमा हॉल में सीटों की मरम्मत और स्नेक्स बेचा करता था. लेकिन, उन्हें जिंदगी में कुछ बड़ा करना था इसलिए चंदू भाई ने रिस्क लिया और खुद की कंपनी शुरू की. हालांकि, उन्होंने यह कभी नहीं सोचा होगा कि उनका यह फैसला उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा देगा.
साल 1982 में डेढ़ लाख रुपये का लोन लेकर चंदू भाई ने चिप्स निर्माण का बिजनेस शुरू किया. इस छोटी-सी पूंजी से चंदू भाई ने आलू चिप्स बनाने की फैक्ट्री लगाई. आइये आपको बताते हैं आखिर चंदूभाई वीरानी ने अपनी मेहनत से दिग्गज कारोबारी बनने का यह मकाम कैसे हासिल किया.
पहले बिजनेस में फेल, दूसरी ने दिलाई बड़ी सफलता
हालांकि, आलू चिप्स का काम शुरू करने से पहले चंदू भाई विरानी ने एक और बिजनेस शुरू किया था लेकिन इस काम में वे असफल हो गए. इसके बाद उनके सामने आर्थिक संकट आन खड़ा हुआ, पर चंदू भाई इन परेशानियों के बावजूद डटे रहे. काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने एक नई कंपनी शुरू की, जिसकी कीमत अब 4000 करोड़ से ज्यादा है.
हालांकि, आलू चिप्स का काम शुरू करने से पहले चंदू भाई विरानी ने एक और बिजनेस शुरू किया था लेकिन इस काम में वे असफल हो गए. इसके बाद उनके सामने आर्थिक संकट आन खड़ा हुआ, पर चंदू भाई इन परेशानियों के बावजूद डटे रहे. काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने एक नई कंपनी शुरू की, जिसकी कीमत अब 4000 करोड़ से ज्यादा है.
सिनेमा हॉल में कैंटीन चलाने का ठेका मिलने के बाद सबसे पहले चंदुभाई वीरानी ने 10,000 रुपये जुटाकर होम-मेड चिप्स बनाने का काम शुरू कर दिया. चिप्स का स्वाद इतना अच्छा था कि उन्हें खूब तारीफ मिली. थियेटर के बाहर भी चिप्स की मांग बढ़ने लगी. इसके बाद उन्होंने घर में ही अस्थाई फैक्ट्री खोलकर चिप्स का निर्माण शुरू कर दिया.
चिप्स के बिजनेस से बनाई पहचान
चंदू भाई के चिप्स का कारोबार अब देश भर में पहचान बना चुका है. फैक्ट्री की सफलता के परिणामस्वरूप उन्होंने और उनके भाइयों ने 1992 में बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की, और यह वर्तमान में भारत के शीर्ष स्नैक्स उत्पादकों में से एक है. चंदूभाई विरानी के मालिकाना हक वाली बालाजी वेफर्स भारत के स्नैक बाजार में एक बड़ी कंपनी है. 12 फीसदी मार्केट शेयर के साथ और 43,800 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ देश के सबसे बड़े स्नैक विक्रेताओं में तीसरे स्थान पर है.
चंदू भाई के चिप्स का कारोबार अब देश भर में पहचान बना चुका है. फैक्ट्री की सफलता के परिणामस्वरूप उन्होंने और उनके भाइयों ने 1992 में बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की, और यह वर्तमान में भारत के शीर्ष स्नैक्स उत्पादकों में से एक है. चंदूभाई विरानी के मालिकाना हक वाली बालाजी वेफर्स भारत के स्नैक बाजार में एक बड़ी कंपनी है. 12 फीसदी मार्केट शेयर के साथ और 43,800 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ देश के सबसे बड़े स्नैक विक्रेताओं में तीसरे स्थान पर है.
पिछले साल मार्च में बालाजी वेफर्स का कारोबार 5000 करोड़ रुपये का था, जिसमें 7000 लोगों को रोजगार मिला था, जिनमें से आधी महिलाएं थीं. यह कंपनी हर घंटे 3,400 किलोग्राम आलू चिप्स का उत्पादन करती है. फिलहाल देशभर में कंपनी की 4 फैक्ट्री हैं., जहां रोजाना 65 लाख किलोग्राम आलू चिप्स और 1 करोड़ (10 मिलियन) किलोग्राम नमकीन तैयार होता है. इनमें सिंपली साल्टेड, मसाला मस्ती, टमैटो ट्विस्ट, चाट चस्का, क्रीम एंड ओनियन, और पेरी पेरी वैफर्स जैसे लोकप्रिय प्रोडक्ट्स शामिल हैं.
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